Hindi grammar , Hindi Vyakaran (क्या आप हिंदी व्याकरण के बारे में जानते हैं) – awgrammar.com

Hindi grammar , Vyakaran (क्या आप हिंदी व्याकरण के बारे में जानते हैं) : 

परिचय(Inroductions) –  किसी भी भाषा को शुद्ध-शुद्ध पढ़ने लिखने तथा बोलने के लिए व्याकरण को पढ़ना पड़ता हैं; जैसे संस्कृत भाषा को सही से पढ़ने लिखने के लिए संस्कृत व्याकरण को पढ़ना पड़ता हैं , अंग्रेजी भाषा को पढ़ने के लिए अंग्रेजी व्याकरण पढ़ना पड़ता हैं उसी प्रकार हिंदी भाषा को शुद्ध- शुद्ध पढ़ने लिखने तथा बोलने के लिए हिंदी व्याकरण को पढ़ना पड़ता हैं । अब आप जान चुके होंगें की व्याकरण क्या होता हैं अतः इस पेज में हिंदी व्याकरण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जा रही हैं ।

परिभाषा/व्याकरण किसे कहते हैं- किसी भाषा को शुद्ध-शुद्ध लिखने पढ़ने तथा बोलने के लिए जिस विषयों (Subjects) का अध्ययन किया जाता हैं उसे व्याकरण कहा जाता हैं । इस प्रकार हिंदी व्याकरण(Hindi vyakaran) के अंतर्गत उन सारे चीजों को सीखना पड़ता हैं जिससे हिंदी को अच्छी तरह से  समझा जा सके जिसके कुछ प्रमुख भेद भी हैं । 

 

Hindi Grammar ,हिंदी व्याकरण(Hindi vyakaran)

हिंदी व्याकरण किसे कहते हैं(Hindi vyakaran kise kahate hain) – जिस पुस्तक को पढ़ने से हिंदी शुद्ध- शुद्ध पढ़ना लिखना तथा बोलना आ जाए तो वह हिंदी व्याकरण कहलाता हैं। आप ये तो समझ गए की हिंदी व्याकरण क्या होता हैं लेकिन इसके बाद वह कौन सी प्रमुख बातें हैं जिसे जानना जरूरी हैं, तो आपको बता दें कि सबसे पहले व्याकरण के भेदों के बारे में जानना जरूरी हैं।  

 

हिंदी व्याकरण( Hindi grammar) के भेद :

हिंदी व्याकरण(Hindi grammar) के प्रमुख तीन भेद होते हैं जो निम्नलिखित हैं :

(1) वर्ण या अक्षर(Sound) 

(2) शब्द ( word) 

(3) वाक्य ( sentence) 

 

व्याकरण के बारे में कुछ महत्पूर्ण बातें जिसे समझना बहुत जरूरी हैं नहीं तो आपका सिर्फ समय बर्बाद होगा परन्तु कुछ समझ में नहीं आएगा, इसलिए सबसे पहले आप व्याकरण को अच्छी तरह से समझ लीजिए । 

व्याकरण उस शास्त्र(पुस्तक) को कहा जाता हैं जिसको पढ़ने से किसी भी भाषा को शुद्ध- शुद्ध पढ़ लिख तथा बोल  सकें ।  व्याकरण का शाब्दिक अर्थ “व्याख्या करना” होता हैं जिसमें किसी भाषा का ही व्याख्या किया जाता हैं अन्य चीजों का नहीं , अर्थात किसी भाषा को अनुशासनबद्ध करने वाले नियम और उदाहरण के समुदाय के नाम को व्याकरण कहा जाता हैं।  इस प्रकार व्याकरण भाषा का शास्त्र हैं और भाषा का मुख्य अंग वाक्य हैं , वाक्य शब्दों के मिलने से बनता हैं और शब्द वर्णों के मेल से बनता हैं। व्याकरण के कितने भेद या प्रकार होते हैं इसके बारे में ऊपर बता दिया गया हैं अब इसका वर्णन  निचे किया जा रहा जिसे आप बहुत आसान तरीकों से समझ सकते हैं। 

Note: भाषा किसे कहा जाता हैं – जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को लिखकर और बोलकर व्यक्त करता हैं वही भाषा कहलाता हैं।

 

 

हिंदी व्याकरण के भेदों का वर्णन जो निम्नलिखित हैं :

(1) वर्ण या अक्षर(Sound) – वास्तव में  वर्ण ध्वनि ही होता हैं जिसके मूल  रूप वर्ण कहलाता हैं अर्थात यह ध्वनि का ही मूल रूप होता हैं जिसे Hindi grammar में  एक सार्थक रूप दिया गया हैं। हम जो भी बोलते हैं वह आवाज(Sound) ही तो होता हैं और जब हम कोइ शब्द बोलते हैं तो वह वर्णों का समूह होता हैं। हम निचे कुछ वर्णों का उदाहरण लेते हैं जिससे आप को अच्छी तरह से समझ में आ जाए। 

 

वर्ण का उदाहरण – क , अ , म  , ऐ , प ,  ए , य , ह , ल , न , ओ , स , इ , क्ष , ई , औ , उ , ख , ऊ, ग , आ , ग ,  ऋ ,  लृ आदि  , जो सारे वर्ण हैं जिसे आप खुद एक बार बोलकर देखिए और “सोचिए” तब आपको खुद पता चल जाएगा कि वास्तव में यह ध्वनि ही हैं जिस ध्वनि को हिंदी व्याकरण में उच्चारण के साथ एक नाम  दिया गया हैं । जिसमें कोइ ‘अ’ हैं तो कोइ ‘क’ हैं , तो कोइ त , र , ल आदि हैं अर्थात Hindi grammar में जितने भी वर्ण हैं उसका उच्चारण के साथ नाम दिया गया हैं हम उसी नाम के बारे में बात कर रहे हैं। वर्ण के मिलने से शब्द बनता हैं और आपको बता दें की वर्ण  को दो भागों में विभाजित किया गया हैं जिसमें पहला स्वर वर्ण(Vowel Sound) हैं तथा दूसरा व्यंजन वर्ण(Consonant Sound) हैं जिसे आप हिंदी वर्णमाला(Hindi varnamala) अथवा Hindi Alphabet में बहुत ही विस्तार से पढ़ सकते हैं जिसमें आपको हर एक चीज के बारे में जानकारियां मिल जायेंगें , फिर भी आपको संक्षेप में निचे बता दें रहे हैं जो निचे हैं।

 

इन्हें भी पढ़ें :

1. Hindi Alphabet क्या हैं ?

2 . हिंदी वर्णमाला क्या हैं ?

 

 

स्वर वर्ण(Vowel Sound) स्वर वर्ण का परिभाषा देने से पहले कुछ बातों को समझना जरूरी होता हैं इसलिए आपको बता दें की किसी भी वर्ण को मुँह से बोला जाता हैं अतः किसी भी वर्ण को मुँह से बोलना उच्चारण कहलाता हैं।

 स्वर वर्ण का परिभाषा – किसी वर्ण का उच्चारण करते समय किसी दूसरे वर्ण का सहायता लेना न पड़े तो वह स्वर वर्ण कहलाता हैं अर्थात स्वर वर्ण हमेशा अकेला रहता हैं इनके साथ दुसरा कोइ भी वर्ण शामिल नहीं होता हैं। जैसे – आ , इ , ए , ओ , औ , उ , ऊ , ई , ऋ , अ , ऐ  जो कुल 11 हैं इसमें कोइ भी दूसरा वर्ण नहीं शामिल हैं कहने का मतलब हैं की आ हैं तो आ ही रहेगा , इ हैं तो इ ही रहेगा , ओ हैं तो ओ ही रहेगा इनके साथ दुसरा कोइ भी वर्ण नहीं आएगा क्योंकि ये सब स्वर वर्ण हैं लेकिन यदि आप क बोलते हैं तो “क” के साथ ‘अ’ भी बोलते हैं  यदि आप “का’ बोलते हैं तो “का” के साथ आ भी बोलते हैं , और यदि आप ‘म’ बोलते हैं तो ‘म’ के साथ अ भी बोलते हैं अतः क , का तथा म व्यंजन वर्ण हैं। हमें स्वर वर्ण को समझाने के लिए व्यंजन वर्ण का उदाहरण देना पड़ा लेकिन आप स्वर वर्ण को अच्छी तरह से पहचान कर लीजिए जो कुलमिलाकर 11 ही तो हैं बाकी व्यंजन वर्ण हैं जिसे आप आसानी से याद रख सकते हैं। 

 

 

 

(2) शब्द(word) किसे कहते हैं – वर्णों के सार्थक मेल को शब्द कहा जाता हैं अथवा सुनाई पड़ने वाले ध्वनियों के समूह को शब्द कहा जाता हैं जो सार्थक हो । शब्द का मूल अर्थ ध्वनि हैं यह कभी अकेले तो कभी किसी दूसरे शब्दों के साथ मिलकर अपना कोइ अर्थ प्रकट करते हैं । 

जैसे – किताब , कलम , श्याम , विद्यालय , अरुण , अपना , अनुभव , आकाश , लोहार , समाज , सकना आदि शब्द हैं । जैसा  कि बताया गया हैं कि शब्द वर्णों का मेल होता हैं, इसे भी समझ लेना जरूरी होता हैं और हम यह भी  देखना हैं कि- किस प्रकार दो या दो से अधिक वर्ण आपस में मिलकर शब्द बनाता हैं जो निम्नलिखित हैं। 

किताब = क + ि + त + आ + ब + अ ( अर्थात किताब में पांच वर्ण तथा दो मात्रा का प्रयोग किया गया हैं)

कलम = क + अ + ल + अ + म + अ ( इसमें 6 वर्णों का मेल हुवा हैं)

अरुण = अ + र + ऊ + ण + अ ( इसमें 4 वर्ण का मिलान हुवा हैं ) 

इस प्रकार आप समझ गए होंगें की शब्द क्या होता हैं । 

 

 

 

(3) वाक्य (sentence) किसे कहते हैं – शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य(Sentence) कहा जाता हैं , यह किसी भी भाषा के लिए सबसे महत्पूर्ण होता हैं, क्योंकि व्यक्ति अपने विचारों को एक दूसरे के पास वाक्य के द्वारा ही व्यक्त हैं अर्थात यदि किसी को कुछ कहना होता हैं तो वाक्य के द्वारा ही कहते हैं। ध्यान दीजिए वाक्य बनाने के लिए शब्दों का व्यवस्थित होनाअनिवार्य हैं , वाक्य के लिए शब्दों को जैसे-तैसे नहीं रखा जाता हैं अन्यथा वह वाक्य असमान्य हो जाएगा। 

जैसे – (1) वह लड़का हैं । 

(2) मैं विद्यालय जाता हूँ ।

(3) वह खाना खाता हैं ।

(4) हमलोग घर जाते हैं ।

(5) तुमलोग क्या करते हो ।

(6) मैं पढता हूँ आदि ।

आप जितने भी उदाहरण को पढ़ें हैं वह सभी वाक्य सार्थक हैं परन्तु आप यदि  शब्दों को उल्टा- पुल्टा करते हैं तो वह वाक्य अशार्थक और असमान्य हो जाएगा ।

जैसे – लड़का वह हैं – यह वाक्य अशार्थक हैं । 

जाता हूँ मैं विद्यालय – यह वाक्य  अशार्थक हैं ।

खाता हैं वह खाना – यह वाक्य भी अशार्थक हैं । इस प्रकार आप पूरी तरह से जान चुके होंगें की किसी भी प्रकार के वाक्य के लिए शब्दों का शार्थक होना जरूरी हैं तभी वह वाक्य कहलायेगा- (View details)

 

इस प्रकार आप Hindi Grammar के परिभाषा तथा उसके तीनों भेद के बारे में अच्छी तरह से जान चुके हैं। अब हिंदी व्याकरण के ऊन चीजों के बारे में जानकारिया देने जा रहे हैं जो बहुत ही महत्पूर्ण हैं ।  

 

 

 

 हिंदी व्याकरण(Hindi grammar) के अंतर्गत निम्नलिखित के बारे में जानकारियां  दी गई हैं  :

1 . संज्ञा किसे कहते हैं ? 18 . अनेक शब्द के लिए एक शब्द 
2 . सर्वनाम किसे कहते हैं ? 19 . शब्द – युग्म( समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द)
3 . विशेषण किसे कहते हैं ?  20 . ऊनार्थक शब्द
4 . क्रिया कहते हैं ?  21 . विपरीतार्थक शब्द
5 . क्रिया विशेषण किसे कहते हैं ? 22 . एक शब्द के लिए विभिन्न प्रयोग 
6 . कारक किसे कहते हैं ? 23 . पर्यायवाची शब्द
7 . वचन किसे कहते हैं ?  24 . सहचर शब्द
8 . संधि किसे कहते हैं ? 25 . हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियाँ
9 . काल किसे कहते हैं ? 26 . संक्षेपण
10 . उपसर्ग किसे कहते हैं ? 27 . भावार्थ एवं व्याख्या लेखन
11 . अव्यय किसे कहते हैं ? 28 . आशय लेखन
12 . समास किसे कहते हैं ? 29  . पल्लवन
13 . विराम चिन्ह क्या हैं ? 30 . अपठित गद्यांश और प्रश्नोत्तर
14 . पद निर्देश क्या होता हैं ? 31 .  अनुच्छेद लेखन
15 . अशुद्धि – संशोधन 32 . संवाद – लेखन
16 . द्विरूपी कोष 33 . कहानी – लेखन 
17 . विशेष्य से विशेषण 34 . निबंध – लेखन

 

 

अब प्रत्येक को निचे बारी- बारी से अध्ययन किया जा रहा हैं :

1 . संज्ञा किसे कहते हैं – हम अपने आस-पास जितने भी प्रकार के वस्तुओं को देखते हैं उसका कोइ – न – कोइ नाम आवश्यक होता हैं उसी नाम को संज्ञा कहा जाता हैं , इस प्रकार हम कह सकते हैं की पदार्थों के नाम को संज्ञा कहा जाता हैं। अथवा संज्ञा उसे कहा जाता हैं जिससे किसी वस्तु व्यक्ति या स्थान के नाम(Name) का बोध हो तो वह संज्ञा कहलाता हैं। जैसे – अमर , अरुण , रमेश , सुभाष ,  प्रभाष  , घर , दिल्ली , कोलकता , पटना , चावल , दाल , तेल , पानी , घी , पेट्रोल , ईमानदार , बचपना , बुढ़ापा , खुशी , दुःख , आदि । संज्ञा को अंग्रेजी में Noun कहा जाता हैं और आप अभी हिंदी व्याकरण का अध्ययन कर रहे हैं । यदि आप अंग्रेजी व्याकरण में पढेंगें तो हिंदी व्याकरण के तुलना में अंतर देखने को मिल सकता हैं। संज्ञा के तीन भेद होते हैं (1) रूढ़ (2) योगिक तथा (3) योगरूढ़ि  (View Details) 

 

2 . सर्वनाम किसे कहते हैं –  संज्ञा(Noun) के स्थान पर जिस शब्द का प्रयोग किया जाता हैं  वह शब्द सर्वनाम  कहलाता हैं ।

जैसे – ‘ मैं(I)आप , वह , हम , मैंने , कौन , यह , तुम , आदि सर्वनाम हैं ।

 

वाक्य :

(1) मैं पढता हूँ ।  इस वाक्य में  ‘मैं’ सर्वनाम हैं क्योंकि ‘मैं’ नाम का कोइ तो व्यक्ति हैं। 

(2) आप अच्छे हैं। (इस वाक्य में ‘आप’ सर्वनाम हैं क्योंकि जिसको आप बोला जाता हैं उस व्यक्ति का कोइ तो नाम होगा अर्थात कोइ Noun तो हैं )  

(3) हम भूखें हैं। (हम सर्वनाम हैं क्योंकि हम भूखें हैं, मतलब मेरा कोइ तो नाम हैं जिस नाम के बदले में ‘हम’ का प्रयोग किया गया हैं) 

(4) यह कुर्सी हैं। (‘कुर्सी’ एक संज्ञा हैं जिसकों निर्देश करने के लिए यह का प्रयोग किया गया हैं इसलिए ‘यह’ सर्वनाम हैं)

(5) तुम अमीर हो। (तुम नाम का कोइ व्यक्ति तो आवश्यक होगा और उसका कोइ न कोइ नाम आवश्यक होगा अतः ‘तुम’ सर्वनाम हैं)

 

 आपको बता दें की हिंदी व्याकरण(Hindi grammar) में सर्वनाम का छः भेद हैं  और ऊपर जितने भी उदाहरण दिया गया हैं वह सब इन्ही भेदों में से लिया गया हैं ।  क्या आप सर्वनाम(Pronoun) के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इनके सभी भेदों का अध्ययन करना होगा।

इन्हें भी पढ़ें – सर्वनाम के भेद और उनका परिभाषा ।

 

 

 

3 विशेषण किसे कहते हैं –  विशेषण का अर्थ होता हैं  किसी चीज का विशेषता बताना या उसके गुण के बारे में बातें करना  या  किसी पदार्थ के , संख्या , रूप गुण ,  मात्रा , परिणाम आदि का विशेषता  बताना। 

विशेषण का परिभाषा –  जो शब्द किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम के विशेषता बताए वह विशेषण कहलाता हैं ।

जैसे – यह कलम लाल हैं । 

वह सूंदर हैं ।

मैं खुश हूँ ।

गाय काली हैं । 

रमेश अच्छा हैं  आदि । 

 

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4 . क्रिया कहते हैं –  जिसके द्वारा किसी काम के होने का बोध हो तो वह क्रिया कहा जाता हैं अथवा जिससे कार्य का संपादन हो तो वह क्रिया कहलाता हैं । क्रिया का अंग्रेजी अर्थ Verb  होता हैं । साधारणतः हम जो भी कार्य करते हैं वह क्रिया हैं । अक्सर क्रिया शब्द के अंत में ‘ना’ लगा होता हैं । 

जैसे – वह  खेलता हैं ( इस वाक्य में ‘खेलना’ क्रिया हैं क्योंकि खेलने से कार्य का संपादन हो रहा हैं, दूसरी बात यह कहा गया हैं कि जिस शब्द के अंत में ‘ना’

लगा हो , तो आपको बता दें कि ‘खेलना’ शब्द के अंत में ना लगा हैं।) 

क्रिया शब्द के कुछ अन्य उदाहरण – पढ़ना , चलना , खाना , जाना , रोना , हँसना , टहलना , खेलना , नहाना , पीटना , धोना , बोलना , खोलना , सोचना , तैरना , उड़ना , काम करना , खोदना , दौड़ना , लड़ना , पढ़ाना , गिरना आदि । 

वाक्य – श्याम पढता हैं , वह जाता हैं , राधा खाना खाती हैं , मैं रोता हूँ , अरुण टहलता हैं , हरी खेलता हैं , वह उसे पीटता हैं , आप क्या सोचते हो , मैं तैरता हूँ , हम लोग दौड़ते हैं , आदि । क्रिया को ओर अच्छी तरह से समझने के लिए इनके भेदों को परिभाषा सहित पढ़ना होगा जिसे आप जरूर पढ़ें । 

इन्हें पढ़ें – क्रिया एवं क्रिया के भेद कि परिभाषा एवं उदाहरण ।

 

इन्हें भी पढ़ें – क्रिया विशेषण क्या हैं ?

 

 

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