Vakya kise kahate hain , वाक्य के परिभाषा भेद एवं उदाहरण –
वाक्य किसे कहते हैं– शब्दों के सार्थक मेल को वाक्य कहा जाता हैं ,यह शब्दों का सार्थक समूह होता हैं जिसके द्वारा हम अपने बातों एवं विचारों को एक दूसरे के बिच रख पाते हैं जो श्रोताओं अथवा पाठकों को पूर्ण रूप से समझ में आ जाए । वाक्य का निर्माण शब्दों के द्वारा होता हैं हिंदी भाषा के वर्णो के विकास के साथ ही शब्द का बनना अनिवार्य था लेकिन इसकी शार्थकता वाक्यों में परिपूर्ण होती हैं हम जब भी अपने बातों को दूसरे के पास रखते हैं या जब हम दूसरे की बात सुनते हैं तो उसका माध्यम वाक्य ही होता हैं वह वाक्य चाहे जिस किसी भी प्रकार का क्यों न हो परन्तु उसमें शुध्यता एवं अर्थपूर्ण आवश्यक होना चाहिए अतः आज इसके उपयोग एवं इनके विभिन्न रूपों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगें।
जैसे – ईमानदारी अच्छी निति होती हैं यह एक वाक्य हैं ।
Vakya kise kahate hain
वाक्य के भेद ( vakya ke bhed) :
सबसे पहले वाक्य के अंग के बारे में बात करेंगें जो प्रमुख दो होते हैं –
1 उद्देश्य
2 विधेय
वाक्य के भेद – रचना की दृष्टि से तीन प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं –
1 सरल वाक्य
2 मिश्रित वाक्य
3 संयुक्त वाक्य
अर्थ के दृष्टि से – अर्थ के दृष्टि से वाक्य के आठ भेद होते हैं जो निम्न हैं –
1 विधिवाचक
2 निषेधवाचक
3 आज्ञावाचक
4 प्रश्नवाचक
5 विस्मयबोधक
6 संदेहबोधक
7 इच्छाबोधक
8 संकेत बोधक
इन्हें भी पढ़ें – शब्द किसे कहते हैं शब्द की परिभाषा ।
(ध्यान दें – भेद का मतलब फर्क करना होता हैं ।
प्रकार का मतलब उनके रूपों के बारें में बात करना होता हैं
रचना का मतलब –निर्माण करना या निर्मित करना होता हैं तथा
अंग का मतलब होता हैं उससे जुड़ा हुवा हिस्सा जो अलग नहीं नहीं हो सकता )
(इन सारे भेदों को अध्ययन करने से पहले वाक्य के बारे में ध्यान देने वाली कुछ बातें 🙂
* वाक्य ऐसे पदसमूह का नाम हैं जिसमें योग्यता , आकांक्षा , और आसक्ति तीनो मौजूद रहता हैं –
- योग्यता – योग्यता का मतलब होता हैं की किसी शब्द-विशेष में अर्थ विशेष को वहन( निर्वाह करना) करने की योग्यता अर्थात शब्द और अर्थ के पारस्परिक सम्बंधो में किसी प्रकार के वोरोध के अभाव ही योग्यता हैं ।
जैसे- यदि यह कहा जाय की ‘वह फसल को सींच रहा हैं‘ तो इस वाक्य के शब्द और अर्थ में परस्पर विरोध किया जाता हैं क्योंकि फसल को आग से नहीं सींचा जा सकता हैं फसल को पानी से सींचा जा सकता हैं अतः फसल को आग से सींचने की योग्यता का अभाव हैं जो सार्थक नहीं हैं हाँ यदि ये कहा जाता हैं की वह फसल को पानी से सींचता हैं तो वाक्य सार्थक हैं ।
- आकांक्षा – जब एक वाक्य को पढ़कर या सुनकर दूसरे पद को पढ़ने तथा सुनने की आकांक्षा बानी रही तो और जब आकांक्षा की पूर्ति हो जाती हैं तो वह वाक्य पूरा हो जाती हैं जब तक सुनने की आकांक्षा पूरी नहीं होती हैं तब तक वह वाक्य पूर्ण नहीं होती हैं ।
जैसे – वह कह रहा था कि———- इतना बोलकर वक्ता चुप हो जाए तो श्रोता के मन में आगे सुनने कि इच्छा बनी रह जायेगी कि उसके क्या हुवा इसलिए वाक्य को पूरा करना पड़ेगा ।
- आसक्ति – वाक्यों के पदों में स्थान और काल(समय) की एकता को आसक्ति कहा जाता हैं ।
जैसे – यदि एक पृष्ट में राधा लिखा हो तथा दूसरा पृष्ट पर गाती हैं तो एकता के अभाव में वाक्य नहीं बन सकती हैं और दूसरी बात यदि कोई बालक बोलकर एक घंटे के बाद कहें की खेलता हैं तो वाक्य में समय की एकता का अभाव हैं अतः समीप होना चाहिए।
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वाक्य के अंग के व्यख्या –
1 उद्देश्य – किसी ‘वाक्य’ में जिसके विषय में कुछ कहा जाता हैं तो वह उद्देश्य कहा जाता हैं ।
जैसे – रमेश पढ़ता हैं, इस वाक्य में ‘रमेश‘ के विषय में कुछ कहा जाता हैं इसलिए रमेश को उद्देश्य(कर्ता) कहा जाता हैं।
2 विधेय- उद्देश्य के विषय में जो भी कहा जाता हैं वह विधेय कहा जाता हैं ।
जैसे – श्याम पढ़ता हैं इस वाक्य में पढ़ता हैं विधेय हैं ।
भेदों का व्यख्या-
1 सरल वाक्य – जिस वाक्य में एक ही क्रिया लगा हो तो वह सरल वाक्य कहा जाता हैं ।
जैसे – राम पढ़ता हैं ।
श्याम हँसता हैं ।
राधा जाती हैं ।
रमेश गाता हैं इन सारे वाक्यों में एक ही क्रिया हैं ।
2 मिश्रित वाक्य- जिस वाक्य में एक सरल वाक्य के अलावा उसका कोइ ‘ अंग वाक्य भी हो तो वह मिश्रित वाक्य कहा जाता हैं ।
जैसे – जब मैं पढ़ता था तब वह खेलता था ।
वह परिश्रम नहीं करते हैं वह सफल नहीं होते हैं ।
3 संयुक्त वाक्य-
जिस वाक्य में ‘सरल वाक्य’ एवं ‘मिश्र वाक्य’ का मेल संयोजक अव्ययों द्वारा होता हैं , उसे संयुक्त वाक्य कहा जाता हैं ।
जैसे – मैं खाना खाया तो नींद आने लगा ।
न मैं आया और न वह गया ।
वह कौन सा आदमी होगा जो भारतवर्ष के बारे में नहीं जानता होगा ।
अर्थ के दृष्टि से –
1 विधिवाचक- जिस वाक्य से किसी बात का ‘होने’ का बोध हो तो वह विधिवाचक वाक्य कहा जाता हैं ।
जैसे – रमेश हँसा।
वह पढ़ा ।
श्याम स्नान किया, आदि ।
2 निषेधवाचक-जिस वाक्य से किसी बात के न होने का बोध हो तो वह निषेधवाचक वाक्य कहा जाता हैं ।
जैसे – वह नहीं पढ़ा , श्याम नहीं गया , मैं नहीं बोला आदि ।
3 आज्ञावाचक – जिस वाक्य से आज्ञा तथा हुक्म देने का बोध हो तो वह आज्ञावाचक वाक्य कहा जाता हैं ।
जैसे – तुम अपना काम करों ।
तुम पढों ।
तुम खाना खाओं, आदि ।
4 प्रश्नवाचक- जिस वाक्य से किसी प्रकार का प्रश्न पूछा जाए तो वह प्रश्न वाचक वाक्य कहा जाता हैं ।
जैसे – क्या करते हो ?
तुम क्यों बोलते हो ।
आप क्यों नहीं खाना खाते हो ।
तुम कैसे सच नहीं बोलते हो, आदि ।
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5 विस्मयबोधक –जिस वाक्य से आश्चर्य,दुःख,शोक,हर्ष,खुशी आदि का बोध हो तो वह विस्मयबोधक कहा जाता हैं ।
जैसे – वह बहुत खुशी हैं ।
ओह बहुत दुःख हैं ।
हमें खुशी हैं की आप अपना काम समय पर कर लेते हैं ।
उसे बहुत पीटा गया हैं ।
बहुत आश्चर्य की बात हैं की अपना होकर भी धोखा दिया ।
आदि ।
6 संदेहबोधक- जिस वाक्य से ‘संदेह’ या ‘शंका’ जाहिर हो ,उसे संदेह बोधक कहा जाता हैं ।
जैसे – वह दिल्ली गया होगा ।
रमेश पढ़ता होगा ।
श्याम घर गया होगा , आदि ।
7 इच्छाबोधक- जिस वाक्य से इच्छा या शुभकामनाएँ का बोध हो तो वह इच्छा बोधक कहा जाता हैं ।
जैसे – आपका दिन शुभ हो ।
भगवान आपका भला करें ।
आपका यात्रा मंगलमय हो ।
हमें आज खेलने की बहुत इच्छा होती हैं , आदि ।
8 संकेत बोधक-जिस वाक्य से शर्त या संकेत सूचित किया जाता हो तो वह संकेतवाचक कहा जाता हैं ।
जैसे – यदि हम पढ़ें होते तो असफल नहीं होते ।
यदि आप चाहते हैं तो जा सकते हैं ।
वह आता हैं तो मैं आवश्यक जाऊँगा ,आदि ।
इन्हें भी पढ़ें – सरल वाक्य या साधारण वाक्य किसे कहते हैं।