sangya kise kahate hain (संज्ञा क्या हैं ,संज्ञा की परिभाषा भेद एवं उदाहरण सहित) – sangya ki paribhasha

 

sangya kise kahate hain (संज्ञा क्या हैं ,संज्ञा की पहचान,परिभाषा भेद एवं उदाहरण) – Noun in Hindi

परिचय(Introductions)- आप अपने आस -पास के वस्तुओं को देखिए , आपको विभिन्न प्रकार के चीजें दिखाई देंगें जैसे  कलम , किताब , घर , पेड़-पौधें , नदी , तालाब , खेत- खलिहान , लोगों , गाड़ी , मोटर साइकल , बस , ट्रक आदि मतलब जिधर भी देखते हैं उधर कुछ-न- कुछ आवश्यक दिखाई देती हैं अब आप ध्यान दीजिए आप जो भी देखते हैं उसका कोइ-न-कोइ नाम तो आवश्यक होता हैं क्योंकि बिना नाम के तो कुछ भी नहीं होता हैं अतः उसी नाम को संज्ञा कहा जाता हैं ।

परिभाषा – जिससे किसी पदार्थ के नाम का बोध हो तो वह संज्ञा(Noun) कहा जाता हैं , अर्थात कोइ भी वस्तु हैं स्थान हैं या कोइ व्यक्ति हैं जिसके नाम को ही संज्ञा कहते हैं । संसार में जितने भी चीजें होते हैं जिसे किसी-न-किसी नाम से आवश्यक पुकारा जाता हैं जो नाम संज्ञा कहलाता हैं, अब आपको स्पष्ट हो गया होगा की संज्ञा क्या हैं । 

 

sangya kise kahate hain 

 

संज्ञा(Noun) – वैसे तो संज्ञा के बारे में ऊपर जानकारियां दे चुके हैं,  फिर भी पुनः डॉक्टर भोलेनाथ तिवारी के अनुसार संज्ञा के परिभाषा देना चाहेंगें तिवारी के अनुसार  किसी  प्राणी , चीज , गुण , काम , भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।

संज्ञा के उदाहरण – 

प्राणी के नाम – श्याम , घोड़ा , हाथी , गाय , कौवा , तोता , मौर , मनुष्य आदि , ये सब प्राणी के नाम हैं जिसमे कोइ भी जंतु आते हैं ।

चीज के नाम में – किताब , कलम , कुर्सी , मेज , घड़ी , पतंग , चावल , ग्लास , थाली , कमीज , बाल्टी , रुमाल आदि , ये सब चीजें अथवा वस्तुओं का नाम हैं । 

गुण के नाम – भलाई , अच्छाई , बुराई , ईमानदारी , वेवकूफी आदि , ये सब गुणों के नाम हैं ।

काम , कार्य अथवा क्रिया के नाम – पढ़ना , खेलना , दौड़ना , बोना , सोचना , टहलना , खाना , लिखना , हँसना आदि ।

भाव के नाम – बचपन , बुढ़ापा , जवानी , मित्रता , दोस्त आदि यह सब भाव को दर्शाते हैं । 

 

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(Note – वास्तव में नाम को ही संज्ञा कहा जाता हैं , चाहे वह नाम किसी भी चीज का क्यों न हो , अर्थात Name is Noun )

हम आगे संज्ञा के भेद के बारे में जानकारी प्राप्त करने जा रहे हैं जिससे उदाहरण के साथ सब स्पष्ट हो जायेंगें ।

ध्यान दीजिए यदि हिंदी व्याकरण के अनुसार संज्ञा के भेद के बारे में जानना चाहते हैं तो इसके तीन भेद हैं – (1) रूढ़ (2) यौगिक (3) योगरूढ़ि । और आप जानते हैं की जब भी संज्ञा की बात करते हैं वह किसी- न – किसी पदार्थ के नाम होता हैं जो एक शब्द के रूप में प्रस्तुत होते हैं अब ऐसा संज्ञा अथवा शब्द जिसका खंड या टुकड़ा निरर्थक हो मतलब उसका कोइ अर्थ न हो तो वह रूढ़ संज्ञा कहलायेगा  यदि परिभाषित करेंगें तो यही कह सकते हैं की वे संज्ञा जिसका खंड निरर्थक हो तो उसे रूढ़ संज्ञा कहते हैं। 

जैसे –

  • (i) घर –आप घर का टुकड़ा कीजिए,टुकड़ा करने पर दो अक्षर प्राप्त होता हैं पहला ‘घ’ और दूसरा ‘र’ क्योंकि घ + र = घर होता हैं , इसमें न ‘घ’ का कोइ अर्थ निकलता हैं और न ‘र’ का कोइ अर्थ निकलता हैं इसलिए ऐसी संज्ञा को रूढ़ संज्ञा कहा जाता हैं। 
  • (ii) डर- डर का खंड करने पर ड और र प्राप्त होता हैं जिसका कोइ अर्थ नहीं निकलता हैं अर्थात न ‘ड’ का कोइ अर्थ निकलता हैं और न र का कोइ अर्थ निकलता हैं । (ii) हल =  ह + ल , अर्थात न ह का मतलब कोइ बनता हैं और न ल का कोइ सार्थक अर्थ निकल पाता हैं।
  • (iii) पर – यहाँ पर पर का टुकड़ा प तथा र का जिस टुकड़े का अलग – अलग कोइ अर्थ नहीं निकलता हैं ।
  • (iv) बस– आप बस का खंड कीजिए तो ब और स प्राप्त होगा जिसका अलग – अलग सार्थक कोइ अर्थ नहीं निकलेगा 

 

2 . यौगिक संज्ञा – यह ऐसी संज्ञाएँ होती हैं जो कई सार्थक शब्दों के योग से बनता हैं मतलब जिस संज्ञा को टुकड़ा करने पर उसका प्रत्येक खंड सार्थक हो तो वह यौगिक संज्ञा कहलाता हैं ।

जैसे –

  • पुस्तकालय जिसका खंड पुस्तक + आलय होगा जिसका दो पार्ट हैं पहला  पुस्तक और दूसरा आलय हैं जिसका अर्थ सार्थक हैं क्योंकि पुस्तक का अर्थ किताब होता हैं और दूसरा आलय का अर्थ घर होता हैं । 
  • इसीप्रकार पाठशाला भी यौगिक संज्ञा हैं क्योंकि पाठ + शाला , जिसमें पाठ का अर्थ अध्ययन करना होता हैं और दूसरा शाला का भी अर्थ घर होता हैं , मतलब अध्ययन करने वाला घर । 

 

3 . योगरूढ़ि – यह ऐसा संज्ञा  हैं जो अपने  खंड का अर्थ छोड़कर  कोइ अलग दूसरा ही अर्थ देता हो तो वह योगरूढ़ि संज्ञा कहे जाते हैं  । जैसे – जलज , जब हम इस शब्द का खंड करते हैं तो जल और ज प्राप्त होता हैं क्योंकि जल + ज = जलज । इसमें दोनों खण्डों का अर्थ शार्थक हैं जल का अर्थ पानी हैं तथा ज का अर्थ जन्मा हुवा , मतलब पानी में जन्मा हुवा अर्थात कमल । इसका उदाहरण घोंघा , सेवार, काई , जोंक आदि ।

 

 

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कुल मिलाकर बात यह हैं की जिनके खण्डों का कोइ अर्थ न  निकले तो वह रूढ़ि , जिनके खण्डों का कोइ अर्थ  तो वह यौगिक और जिसके खण्डों का कोइ अन्य  अर्थ निकलता हो तो वह योगरूढ़ि संज्ञा कहलाता हैं और यौगिक तथा योगरूढ़ि में यही अंतर हैं की यौगिक संज्ञा अपने खण्डों का अर्थ देते हैं जबकि योगरूढ़ि संज्ञाएँ अपने खंडो का कोइ अलग ही विशेष अर्थ देते हैं। ध्यान दीजिए प्रत्येक योगरूढ़ि संज्ञा यौगिक हैं परन्तु प्रत्येक यौगिक संज्ञा योगरूढ़ि नहीं हो सकती हैं । 

 

 

जरूरी बातें – जैसे कि ऊपर व्युत्पत्ति के अनुसार संज्ञा के तीनों भेदों के बारे में जानकारियां दे दी गई हैं लेकिन आधुनिक समय में सिर्फ जानकारी के तोर पर इसे अध्ययन किया जाता हैं जबकि उपयोगिता के हिसाब से संज्ञा के उन भेदों का विशेष महत्त्व दिया जाता हैं इस हिसाब से संज्ञा के तीन भेद (1) व्यक्ति वाचक संज्ञा  (2) गणनीय संज्ञा तथा (3) अगणनीय संज्ञा , परन्तु इससे भी काम नहीं चला तो संज्ञा को पांच भागों में बाँट दिया गया हैं जो अंग्रेजी व्याकरण में  ज्यादा काम आते हैं अतः  इन्ही सब के बारे में निचे विस्तार से बताया गया हैं ।

 

इन्हें भी पढ़ें – 

1 Hindi alphabet या 

2 हिंदी वर्णमाला क्या हैं?

3 विशेषण किसे कहते हैं ?

4 क्रिया किसे कहते हैं ?

5 संधि किसे कहते हैं ?

6 Hindi consonant (व्यंजन) किसे कहते हैं?

7 present indefinite tense किसे कहते हैं ?

8 Adverb किसे कहते हैं ?

 

 

यदि अंग्रेजी व्याकरण के अनुसार देखें तो आधुनिक(Modern) अंग्रेजी व्याकरण के अनुसार संज्ञा(Noun) को तीन भागों में बांटा गया हैं जो निम्नलिखित हैं ।

(1) व्यक्ति वाचक संज्ञा – किसी खाश वस्तु व्यक्ति स्थान के नाम का बोध हो तो वह व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाएगा । जैसे – अजय , राकेश , रमेश , श्याम , नरेश , रीना , कविता , सविता , नीता , आदि  व्यक्ति का नाम हैं जो किसी के खाश नाम हैं और कर्नाटिक , मुम्बई , दिल्ली , कोलकता , पटना , लखनउ , पंजाब , गुड़गांव आदि किसी खाश स्थान के नाम हैं तथा वस्तु के नाम में कलम , किताब , कुर्सी , बाल्टी , ग्लास , बल्ला , दवात , मेज , कपड़ा , अलमीरा , कुदाल , खिलौना आदि कुछ भी ले सकते हैं जो किसी खास वस्तु का नाम हैं । 

(2) गणनीय संज्ञा- इसे तो समझना बहुत आसान हैं – जिस संज्ञा को गिनती कर सके तो वह गणनीय संज्ञा कहलाता हैं जिसे English में Countable Noun कहा जाता हैं ।

जैसे – राज्य(State) , किताब , सेना , लोग , लड़की , लड़का , गाय , विद्यार्थी ,  नदी आदि को हम गिन सकते हैं इसलिए यह गणनीय संज्ञा कहलाता हैं ।

(3) अगणनीय संज्ञा – जिस संज्ञा को हम गिनती नहीं कर सकते हैं वह अगणनीय संज्ञा कहलाता हैं अर्थात हम जिसे गिनती न कर सके । जैसे – तेल , पानी , दूध , चावल , गेंहू आदि , बस इतना समझना हैं की जिसको हम गिन नहीं पाए तो वह अगणनीय संज्ञा हैं । 

 

 

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अर्थ के हिसाब संज्ञा पाँच प्रकार के होते हैं – 

व्यक्ति वाचक संज्ञा , जाती वाचक संज्ञा , समूह वाचक संज्ञा , द्रव वाचक संज्ञा तथा भाव वाचक संज्ञा ।

व्यख्या – 

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा(Proper Noun) – इसके बारे में ऊपर बता चुके हैं फिर भी बताना चाहेंगें की जिस से किसी खाश , वस्तु , व्यक्ति या स्थान के नाम का बोध हो तो वह व्यक्तिवाचक संज्ञा कहा जाता हैं । 

जैसे –

वस्तु के नाम में – रुमाल , बोर्ड , पेंसिल , स्लेट , दिया , प्याला , ईंट , पंखा , गेंद आदि किसी खास वस्तु का नाम हैं ।

व्यक्ति के नाम में – अमर , नितिन , अभिनन्दन , दिलीफ , देवेंद्र , अजित , आलोक , अनीश , आदि किसी – न – किसी खास व्यक्ति का नाम हैं ।

स्थान का नाम में – सूरत , गोवा , काशी , रांची , विजयनगर , उदयपुर , जोधपुर , हेदराबाद , नई दिल्ली आदि सब किसी खाश स्थान के नाम हैं । इसीप्रकार कई उदाहरण हो सकता हैं।

 

 

(2)जाती वाचक संज्ञा(Common Noun) – वह संज्ञा जिससे किसी पुरे जाती भर का बोध हो तो वह जाती वाचक संज्ञा कहा जाता हैं ।

जैसे – मानव , यदि आप मानव का नाम लेते हैं तो इससे पुरे मानव जाती का बोध होता हैं । हाथी , हाथी कहने से सम्पूर्ण हाथी जाती का बोध होता हैं ।  इसी प्रकार बिल्ली , कुत्ता , गाय , लड़की , लड़का , मौर , तोता , बतख , शेर , हिरन आदि का नाम से किसी सम्पूर्ण जाट का बोध होता हैं । यदि लड़की का नाम लेते हैं तो की किसी  एक लड़की का नाम नहीं लेते हैं बल्कि सम्पूर्ण लड़की जाती भर का नाम ले लेते हैं अतः इस प्रकार के संज्ञा को जाती वाचक संज्ञा कहलाता हैं । 

 

(3) समूह वाचक संज्ञा(Collective Noun) – ऐसा संज्ञा जिससे किसी समूह भर का बोध हो तो समूह वाचक संज्ञा कहा जाता हैं।

जैसे – भीड़ , अंगूर का गुच्छा , मेला , झुण्ड , फौज आदि ये सब जितने भी संज्ञा हैं किसी समूह को दर्शाते हैं , यदि आप भीड़ का नाम लेते हैं तो आपके मस्तिक में किसी भीड़ का दृश्य सामने आता हैं । मेला में तो एक लोग नहीं होते हैं बहुत सारे लोग होते हैं जिसमें बहुत सारे लोगो का भीड़ होता हैं अतः मेला नाम जो हैं वह समूह वाचक संज्ञा हैं , इस प्रकार आप इस संज्ञा के बारे में पूरी तरह से समझ गए होंगें ।

 

(4) द्रव वाचक संज्ञा(Material Noun) – जिस संज्ञा को नापा या तौला जाए परन्तु गिना न जा सके तो वह द्रव वाचक संज्ञा कहलाता हैं ।

जैसे – जल , तेल , घी, पत्थर , चीनी , चाँदी , लोहा , दाल आदि ये सब जितने भी संज्ञा हैं आप इसे तौल सकते हैं परन्तु गिन नहीं सकते हैं ।

 

 (5)भाव वाचक संज्ञा(Abstract Noun) – जिस संज्ञा से किसी के गुण, दोष , धर्म , स्वभाव ,. आचरण आदि का बोध हो तो वह भाव वाचक संज्ञा कहलाता हैं । 

जैसे – ईमानदार , अच्छाई , जवानी , सुख , दुःख , वीरता , ज्ञान , बुढ़ापा , बचपना आदि इस प्रकार के जितने भी संज्ञा हैं वह भाव वाचक संज्ञा कहलाएगा । 

 

 

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भाव वाचक संज्ञा बनाने का नियम:

ध्यान दीजिए जब हम संज्ञा से विशेषण बनाते हैं तो वह एक प्रकार का भाव व्यक्त करता हैं  अतः  जातिवाचक संज्ञा से , विशेषण से , क्रिया से , सर्वनाम से तथा अव्यय से  भाव वाचक संज्ञा कैसे बनाया जाता हैं इसकी जानकारिया निचे दी जा रही हैं ।

 

जाती वाचक संज्ञा से – 

संज्ञा  भाववाचक संज्ञा 
मनुष्य  मनुष्यता 
पशु  पशुता 
गधा गधापन
बच्चा  बचपन 
हाथी  हाथीपन 
क्षत्रिय  क्षत्रियत्व
पुरुष  पुरुषत्व 
सिंह  सिंहत्व 

 

विशेषण से –

संज्ञा  भाववाचक संज्ञा 
कठोर  कठोरता 
कोमल  कोमलता 
मीठा  मिठास 
सफल  सफलता 
सफेद सफेदी 

 

क्रिया से – 

संज्ञा  भाववाचक संज्ञा 
चढ़ना  चढ़ाई 
चलना  चाल 
कमाना  कमाई 
उड़ना  उड़ाना 

 

सर्वनाम से – 

संज्ञा  भाववाचक संज्ञा 
अपना  अपनापन
अहं  अहंकार 
निज  निजत्व 

 

अव्यय से –

संज्ञा  भाववाचक संज्ञा 
समीप  समीप्य
दूर  दूरी 

 

 

Note- संज्ञाओं का प्रयोग में उलट – फेर होते रहते हैं , जिसे कुछ उदाहरण से समझा जाता हैं ।

(1) जातिवाचक : व्यक्तिवाचक –  कभी – कभी जातिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञाओं की तरह होता हैं ।

जैसे – देवी , से दुर्गा माता का 

मुरलीधर , से श्री कृष्णा का 

गोस्वामी , से तुलसीदास का आदि । और कुछ योगरूढ़ि संज्ञा मूल में जातिवाचक संज्ञा होते हैं जैसे – हनुमान , हिमालय , गोपाल आदि ।

 

(2) व्यक्तिवाचक संज्ञा : जातिवाचक संज्ञा – कभी – कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा किसी व्यक्ति – विशेष के गुण के प्रसिद्धि के कारण उस गुण के रखने वाले सब पदार्थ के लिए आते हैं, इस दशा में जाती वाचक संज्ञा हो जाते हैं । 

जैसे – कालिदास भारत के शेक्सपियर थे , इस वाक्य में व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में किया गया हैं ।

 

निष्कर्ष – sangya kise kahate hain के बारे में आप सम्पूर्ण अध्ययन कर चुके हैं एक बार पुनः बताना चाहेंगें की संसार में जितने भी पदार्थ हैं उसका कोइ न कोइ नाम आवश्यक होता हैं उसी नाम को संज्ञा कहते हैं, और संज्ञा के सभी भेदों के बारे में बताया गया हैं जिसमें रूढ़ , यौगिक एवं योगरूढ़ि हैं तथा व्यक्ति वाचक संज्ञा , गणनीय संज्ञा ,अगणनीय संज्ञा तथा इसके अन्य भेदों के बारे में भी उदाहरण सहित सम्पूर्ण जानकारियां दी गई हैं जिसमें शार्थकता का सम्पूर्ण ध्यान रखा गया हैं।

 

इन्हें भी पढ़ें – समास किसे कहते हैं ?

 

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