Visheshan kise kahate hain ( विशेषण के भेद एवं प्रकार ):
विशेषण किसे कहते हैं- जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम के विशेषता को बताते हैं वही विशेषण कहा जाता हैं।
विशेषताओं का मतलब किसी संज्ञा एवं सर्वनाम के गुण, प्रकृति, संख्या ,मात्रा आदि होता हैं। जैसे – ललिता सूंदर हैं , राधा गौरी हैं, गेहूं पांच किग्रा हैं, संतरे मीठे हैं , घोड़ा काला हैं , वह लड़की लम्बी हैं , गाय का रंग लाल हैं आदि , इन वाक्यों में सूंदर , मात्रा, काला, मीठे ,लम्बी ,लाल आदि विशेषण हैं जो किसी संज्ञा तथा सर्वनाम के विशेषता को बताते हैं –
ललिता कैसी हैं तो सूंदर हैं,
राधा कैसी हैं तो गौरी हैं,
कमीज कैसी है तो काली हैं, इसी प्रकार अन्य वाक्य को समझा जा सकता हैं।
विशेषण को समझने के लिए थोड़े से संज्ञा सर्वनाम को भी समझ लेना अच्छा रहता हैं, संज्ञा का सम्बन्ध किसी के नाम से हैं और संज्ञा के बदले में जो शब्द आते हैं वही सर्वनाम कहलाते हैं।
Visheshan kise kahate hain
विशेषण के भेद एवं प्रकार :
विशेषण के मुख्य चार भेद होते हैं –
1 गुणवाचक विशेषण
2 संख्या वाचक विशेषण
3 परिमाण वाचक विशेषण
4 सार्वनामिक विशेषण
(ध्यान दें – भेद और प्रकार में कोइ अंतर नहीं हैं )
इन्हें भी पढ़ें – 1 संज्ञा के कितने भेद हैं संज्ञा क्या हैं ।
Visheshan kise kahate hain
अब हम विशेषण के सभी भेदों को बारी- बारी से अध्ययन करेंगें ।
1 गुणवाचक विशेषण- जो किसी संज्ञा एवं सर्वनाम के गुण को प्रस्तुत करें तो वह गुण वाचक संज्ञा कहा जाता हैं।
जैसे – सूंदर , अच्छा , बुरा , ऊँचा, काला , सफेद आदि । इसे वाक्यों के द्वारा समझते हैं –
अनीता सूंदर हैं , वह अच्छा हैं , मिथलेश बुरा हैं , गाय काली हैं, दूध उलझा हैं, अब आप समझ गए होंगें की गुण वाचक विशेषण किसी के कोइ- न -कोइ गुण बतलाते हैं अतः इस प्रकार के शब्द गुण वाचक विशेषण कहें जाते हैं।
अब गुण वाचक विशेषण को छः भागों में बांटा गया हैं जो निम्नलिखित हैं –
(a) काल वाचक – जो समय(काल ) के सम्बंधित गुण बतलाए वह काल वाचक कहे जाते हैं ।
जैसे – अगले महीना, कम समय , बहुत दिनों के बाद आदि ।
(b) आकारवाचक – जिसमें अकार सम्बन्धी गुण का बोध हो तो वह आकार वाचक कहा जाता हैं।
जैसे – गोल , चपटा , नाटा, चौकोर आदि ।
(c) स्थान वाचक – जो स्थान के गुण बताए वह स्थान वाचक होते हैं।
जैसे – ऊंचा दरवाजा, हाजीपुरी केला , विलायती अमरूद आदि ।
(d) दशावाचक – यदि किसी दशा का बोध हो तो वह दशावाचक कहा जाता हैं ।
जैसे – गरीबी , मजबूरी , अमीरी , सूखा , मोटा आदि ।
(e) गुण वाचक –जिससे किसी संज्ञा के गुण का बोध हो तो वह गुण वाचक कहे जाते हैं ।
जैसे – सुन्दर लड़की , जवान आदमी , न्यायी राजा , शांत प्रकृति ।
(f) वर्ण वाचक – जिसे से किसी संज्ञा के वर्ण अर्थात रंग का बोध हो तो वह वर्ण वाचक कहे जाते हैं ।
जैसे – काला छाता , लाल कपड़ा, हरा झंडा आदि ।
2 संख्या वाचक विशेषण – जिससे किसी संज्ञा एवं सर्वनाम के संख्या का बोध हो तो वह संख्या वाचक विशेषण कहा जाता हैं।
जैसे – चार आदमी , दस दिन , आठ महीना , ग्यारह गाय, एक सेव आदि । साथ ही संख्या वाचक विशेषण के दो भाग होते हैं ।
(a) निश्चित सांख्य वाचक –इसमें निशिचता का बोध होता हैं, जैसे- एक दो पांच आठ दस पंद्रह आदि ।
(b) अनिश्चित संख्या वाचक –
इसमें अनिशिचत का बोध होता हैं , जैसे – कुछ, थोड़ा ।
3 परिमाण वाचक विशेषण – जब किसी वस्तु के नाप तौल की विशेषता देखा जाय तो वह परिमाण वाचक विशेषण कहा जाता हैं ।
जैसे – सेर भर , थोड़ा , दो किग्रा चावल , पांच लीटर दूध , दस मन गेहूँ आदि ।
(ध्यान दें – बहुत सारे विशेषण ऐसे भी होते हैं जो परिमाण वाचक तथा संख्या वाचक दोनों होते हैं , जैसे – सब कुछ , कुछ रोटियाँ, बहुत घोड़े , थोड़ा चावल इन वाक्यों में सांख्य एवं परिमाप दोनों मौजुद हैं ।)
4 सार्वनामिक विशेषण – जो सर्वनाम विशेषण के काम करता हो वह सार्वनामिक विशेषण कहे जाते हैं जो हमेशा संज्ञा से पहले आते हैं ।
जैसे- यह वालक , वह स्कूल , उस आदमी ने , यह ले लो , वह मकान गिर गया आदि , इसे हम वाक्य द्वारा समझते हैं जो निम्न हैं –
सर्वनाम | विशेषण |
यह कर लो । | यह फूल देखों । |
वह आ रही हैं । | वह घर गिर गया । |
जो आये आ जाए । | जो आदमी आया था चला गया । |
कोई कुछ नहीं कहेगा । | कोइ आने वाला हैं । |
कुछ आते हैं । | कुछ लोग दौड़ रहे हैं । |
Visheshan kise kahate hain
विशेषण की अवस्थाएँ:
किसी में साधारण,उससे अधिक या कम और उससे से भी कम आदि इस प्रकार इसे कुछ भागों में बाटा गया हैं जो निम्नलिखित हैं –
(a) मूलावस्था- जिसे से किसी एक वस्तु व्यक्ति आदि के गुण दोष प्रकट हो तो वह मूलावस्था कहे जायेंगें इसमें किसी अन्य की तुलना नहीं की जाती हैं ।
जैसे – अच्छा , मीठा , वीर , प्रिय ।
1 रमेश अच्छा लड़का हैं ।
2 सेव मीठा हैं ।
3 अर्जुन वीर हैं ।
4 अमृता मेरे प्रिय हैं ।
(b) उत्तरावस्था-जिस विशेषण से एक से दूसरे की अधिकता बताई जाती है तो वह उत्तरावस्था कहा जाता हैं ।
जैसे – रमेश गणेश से अधिक मोटा हैं ,आम सेव से अधिक मीठा होता हैं आदि ।
(c) उत्तमवस्था-
जिसे विशेषण से एक से दूसरे को तुलना किया जाए और सबसे अधिक विशेषता बताई जाए तो वह उत्तमवस्था कहे जाते हैं ।
जैसे – रमेश सबसे अधिक मोटा हैं , आम सबसे अधिक मीठा होता हैं ।
इन तीनों को वाक्य द्वारा समझते हैं –
मूलावस्था | उत्तरावस्था | उत्तमावस्था |
प्रिय | प्रियतर | प्रियतम |
उच्च | उच्चतर | उच्चतम |
न्यन | न्यूनतर | न्यूनतम |
सूंदर | सुन्दरतर | सुन्दरतम |
अधिक | अधिकतर | अधिकतम |
गुरु | गुरुतर | गुरुतम |
निकट | निकटतर | निकटतम |
निम्न | निम्नतर | निम्नतम |
लघु | लघुतर | लघुतम |
Visheshy se visheshan
विशेष्य से विशेषण:
विशेष्य से विशेषण सामान्यतः ‘संज्ञा’ ‘सर्वनाम’ और क्रिया में प्रत्यय लगाकर बनाया जाता हैं।
जैसे –
विशेष्य | विशेषण |
अपमान | अपमानित |
अवरोध | अवरूद्ध |
ठंढ | ठंढा |
घर | घरेलू |
उत्साह | उत्साहित |
प्रेम | प्रेमी |
खतरा | खतरनाक |
भूत | भौतिक |
Visheshan kise kahate hain
विशेषण के बारे में कुछ महत्पूर्ण बातें :
- विशेषण विकारी होते हैं इनके रूप बदलते हैं और रूप का बदलना कारक एवं वचन के कारण होता हैं , जैसे- मोटा से मोटापा , पतली लड़की ।
- जिन विशेषण के अंत में ‘आ’ रहता हैं तो स्त्रीलिंग में ‘ई’ हो जाता हैं, जैसे- बड़ा से बड़ी , मोटा से मोटी, हरा से हरी, काला से काली आदि।
- कुछ विशेषण जिनके अंत में अ रहता हैं प्रायः दोनों लिंगों में समान रहते हैं चतुर , भारी, लाल , आदि ।
व्यक्तिवाचक संज्ञा से विशेषण –
बंबई से बम्बइया, मद्रास से मद्रासी , बिहार से बिहारी , गुजरात से गुजराती, बंगाल से बंगाली , दरभंगा से दरभंगिया आदि ।
जाती वाचक संज्ञा से विशेषण – रूप से रूपहला , कागज से कागजी , पशु से पाशविक आदि ।
भाव वाचक संज्ञा से विशेषण –
न्याय से न्यायी , धर्म से धार्मिक , वर्ष से वार्षिक , सप्ताह से साप्ताहिक , कृपा से कृपालु , धर्म से धार्मिक ।
इन्हें भी पढ़ें – क्रिया किसे कहते हैं ।