Upsarg ki paribhasha ,(उपसर्ग किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं )- awgrammar

 

Upsarg ki paribhasha ,(उपसर्ग किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं )

हिंदी व्याकरण में उपसर्ग का एक अपना अलग ही महत्व हैं,उपसर्ग किसी शब्द के पहले आकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं और उस शब्द को अलंकृत कर देते हैं। उपसर्ग को शब्दों के साथ जोड़ने पर विभिन्न प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलते हैं,कहीं शब्द के मूल अर्थ में परिवर्तन हो जाते हैं तो कहीं विशेषता उत्पन कर देते हैं तो कहीं शब्द के अर्थ से प्रतिकूल हो जाते हैं।

जैसे – भ्रमण शब्द के पूर्व में परि उपसर्ग लगाने पर शब्द परिभ्रमण हो जाता हैं जिसका अर्थ होता हैं चारो तरफ घूमना इसके अर्थ में परिवर्तन नहीं हुवा।

पूर्ण शब्द में परि जोड़ने पर परिपूर्ण हो जाता हैं और इसके अर्थ में विशेषता आ गई इसीप्रकार यश शब्द में अप जोड़ने पर अपशय बन जाता हैं जिसका अर्थ बदनामी होता हैं।

 

 

Upsarg ki paribhasha

उपसर्ग किसे कहते हैं :

उपसर्ग की परिभाषा – उपसर्ग उस शब्द या अव्यय को कहते हैं जो किसी शब्द, धातुओं और संज्ञाओं के पहले आकर(लगकर) उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं ।

जैसे – (i) अति उपसर्ग हैं जब यह रिक्त शब्द के पहले लगता हैं तो अतिरिक्त बन जाता हैं ।

शय में लगाने पर अतिशय बन जाता हैं ।

काल में लगाने पर अतिकाल बन जाता हैं ।

(ii) अधि उपसर्ग से – अधिपति , अधिनियम , अधिकरण , अधिनायक आदि ।

 

(ध्यान दें- शब्द और उपसर्ग में अंतर हैं शब्द अक्षरों का समूह हैं और यह अपना अर्थ रखने में स्वतंत्र हैं,उपसर्ग भी अक्षरों का समूह होता हैं किन्तु यह स्वतंत्र एवं अर्थवान नहीं हैं और न इनका स्वतंत्रपूर्वक प्रयोग किया जाता हैं। उपसर्ग जब तक सार्थक शब्द में नहीं लगते हैं तब तक उनका अर्थ स्पष्ट नहीं होता हैं संस्कृत में धातुओं से निर्मित संज्ञाओं एवं विशेषणों में प्रयोग किया जाता हैं ।

संस्कृत के अतिरिक्त हिंदी में अरबी,फारसी,और देशज शब्द भी होते हैं इसलिए हिंदी में धातु ही नहीं  संज्ञा और  सर्वनाम में उपसर्ग लगाकर शब्द बना लिए जाते हैं)

 

इन्हें भी पढ़ें- विशेषण किसे कहते हैं इसके कितने भेद हैं ।

संज्ञा के भेद संज्ञा किसे कहते हैं ।

 

 

उपसर्ग कितने प्रकार के होते हैं :

पंडित कामताप्रसाद गुरु ने –

संस्कृत में 22

हिंदी में 12 तथा

उर्दू में  18 उपसर्ग बताए हैं इन्ही तीनो के आधार पर उपसर्गो को उदाहर दें रहे हैं।

 

संस्कृत के उपसर्ग – 

उपसर्ग   अर्थ   शब्द    उदाहरण 
प्र  प्र का अर्थ अधिक , आगे होता हैं । कोप , ख्यात  इसमें उपसर्ग लगने पर  प्रकोप , प्रख्यात 
परा निषेध  भव , जय  पराभव, पराजय 
अप  हीनता   यश , मान  अपयश , अपमान  
अनु  पीछे , समान गामी , रागी  अनुगामी , अनुरागी 
अभि सामने , ओर  मान , नव  अभिमान ,अभिनव 
अब  हीनता , अपमान  तार , गुण  अवतार , अवगुण 
नि निषेध  मग्न , ग्रह   निमग्न  
उप   भेद , लघुता  भेद , वन  उपभेद , उपवन 
प्रति सामने , विरूद्ध , उलटा  कूल , एक  प्रतिकूल प्रत्येक

 

 

हिंदी उपसर्ग 

उपसर्ग   अर्थ   उदाहरण 
 अभाव   अनमोल , अजान , अलग , अनजान , अचेत , अनसन, अनुपम आदि ।
अध  आधा   अधमरा अधकचरा , अधखिला , अधपका , अधसेरा अधजला आदि । 
 अन     निषेध   अनबन , अनहित , अनपढ़ , अनमोल अनजान , अनहोनी , अनजानी ।

 

 

उर्दू उपसर्ग 

उपसर्ग    अर्थ  उदाहरण 
अल  निश्चित  अलबत्ता , अलगरज, अलविदा , अलहलाल आदि ।
खुश  श्रेष्ठ  खुशहाल , खुशदिल , खुशबू , खुशखबरी आदि ।
दर  में  दरसल , दरकार, दरहकीक , दरमियान आदि ।
बा  साथ  बाकायदा , बाअदब , बाकलम, बाइज्जत , आदि ।
बर ऊपर  बरकरार, बरदास्त, बरखास्त , बरवक्त आदि 
ना अभाव  नाराज , नादान, नाहक , नालायक , नाचीज आदि ।

 

 

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