(Hindi Matra Chart, Swar Vaynjan Ki Matra In Hindi)-स्वर वर्ण की मात्रा क्या होती हैं और इसका प्रयोग कैसे की जाती हैं :
परिचय(Introductions)– आपने हिंदी वर्णमाला के बारे में जरूर जानते होंगें जिसमें वर्णो की कुल संख्या 52 हैं, इन वर्णो में 11 स्वर वर्ण हैं तथा 41 व्यंजन वर्ण हैं जहाँ स्वर वर्णो में मात्राएँ छुपी हुई रहती हैं । मात्रा क्या हैं ? – वर्णो के उच्चारण में जितना समय लगता हैं वही मात्रा कहलाता हैं। एक बात हमेशा याद रखना हैं की मात्रा स्वर वर्ण का होता हैं मतलब “मात्रा केवल स्वर वर्ण का ही होता हैं” ‘व्यंजन वर्ण का नहीं’ जिनमें मात्राओं की संख्या 13 हैं अब कहेंगें की जब स्वर वर्ण की संख्या 11 हैं तो मात्रा 13 कैसे हो सकते हैं , तो इसके लिए आगे पढ़ना पड़ेगा क्योंकि Hindi Matra Chart का सम्पूर्ण सम्बन्ध हिंदी मात्राओं से ही हैं और सभी प्रकार के मात्राओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलने वाली हैं तो आगे बढ़ते हैं।
Hindi Matra Chart
स्वर व्यंजन की मात्रा :
जैसे की ऊपर बताया गया हैं की स्वर वर्ण 11 हैं तो मात्राओं की संख्या 13 कैसे हो सकता हैं तो आपको बता दे की स्वर्ण वर्ण के साथ 2 वर्ण ओर जुड़ जाते हैं जो की वह अनुस्वार और विसर्ग हैं जिसे आप chart के द्वारा समझा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं।
सबसे पहले स्वर वर्ण को देखते हैं जो निचे हैं –
अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ए | ऐ | ओ | औ ऋ |
अब मात्राओं को देखते हैं जिसकी मात्रा 13 हैं जिसे निचे दिखाया गया हैं –
ा | ि | ी | ु | ू | े | ै | ो | ौ |
ृ | ं | ः |
ध्यान दें – अ का मात्रा नहीं होता हैं यह किसी वर्ण में छिपा हुवा होता हैं और उस वर्ण को पढ़ते समय अ का उच्चारण हो जाता हैं जैसे क , ग , प , ब , म , ह , ल , ट , य , र , ह , न , च , ज आदि, जिसे बोलते समय इन वर्णों के साथ में अ का भी उच्चारण होता हैं।
ऊपर 13 मात्रा के बारे में बताया गया हैं और इन सभी मात्राओं का उपयोग अक्षर बनाने के लिए किया जाता हैं अर्थात जब स्वर की मात्रा व्यंजन वर्ण के साथ मिलते हैं तो वह एक अक्षर का रूप ले लेता हैं । अब समझना हैं की अक्षर क्या होता हैं तो बताना चाहेंगें की जब व्यंजन वर्ण के साथ मात्राओं का मिलन होता हैं तो अक्षर बनता हैं जैसे – पा , ने , सो , की , जा , ली , लौ , मौ , के , नो , ह आदि।
Note- सामान्य रूप से स्वर(vowel) तथा अक्षर(Letter) में कोइ खास अंतर नहीं हैं यदि अंतर हैं तो बस इतना हैं कि अक्षर में मात्रा लगा होता हैं लेकिन स्वर में मात्रा नहीं लगता हैं बल्कि मात्राएँ तो स्वर का ही होता हैं ।
जैसे – कु में ऊ का मात्रा ू लगा हैं जिसे हम अक्षर कहते हैं इसी प्रकार को , के , कू , ख , पु , रो , नी , ज , पी , री आदि भी अक्षर हैं और इस हिसाब से आ , ई , उ , औ , ए , ऐ , अक्षर नहीं हैं लेकिन ये सब बातें उपयोग के दृष्टि कौन से बहुत ज्यादा महत्पूर्ण नहीं होता हैं यदि महत्पूर्ण हैं तो बस इतना की सार्थक रूप से शब्द एवं वाक्य के लिए सार्थक रूप से क्या उपयुक्त हैं , हाँ यदि आपको वर्ण तथा अक्षर के अंतर को लेकर उनके विशेषता के बारे में अध्ययन करना पड़ जाए तो आप अंतर कर सकते हैं ।
Note(ध्यान दें)- अ से ज्ञ तक और का का कि की से कः तक तथा अन्य व्यंजन वर्ण की बारह खाड़ी को सीखने के बाद मात्राओं का प्रयोग करके विभिन्न प्रकार के शब्दों का निर्माण किया जाता हैं और शब्दों के सार्थक मेल से वाक्य बनता हैं। शुरूआती दौर में हिंदी की मात्रा को सीखना बहुत जरूरी होता हैं मतलब हिंदी भाषा को सीखने समझने के लिए इसे पूरा कंठष्ठ करना आवश्यक होता हैं नहीं होता आगे बढ़ने में दिक्कत होती हैं,इसलिए हिंदी मात्रा चार्ट Hindi Matra Chart को सीखना बहुत जरूरी होता हैं तभी हिंदी भाषा के शब्द या वाक्य को पढ़ लिख सकते हैं।
मात्रा किसे कहते हैं- वर्ण के उच्चारण में जितना समय लगता हैंउसे मात्रा कहा जाता हैं , जब स्वर वर्ण जब व्यंजन वर्ण के साथ मिलता हैं तो स्वर वर्ण का प्रयोग सीधा न करके उसका मात्रा का प्रयोग किया जाता हैं। हर एक भाषा को शुद्ध रूप से बोलने लिखने के लिए उसके कुछ नियम होते हैं यद्यपि ठीक से बोलना तभी संभव होते हैं जब हम वर्णो का सही मात्रा लगा पाते हैं अन्यथा उसमें अशुद्धयाँ आ जाती हैं और शब्दों को शुद्ध उच्चारण करने में बहुत गलतियां करते हैं इसी गलतियां को ठीक करने के लिए मात्रा को समझना होता हैं। एक बात स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए की स्वर के मात्रा के बिना व्यंजन वर्ण की उच्चारण करना असंभव हैं इसलिए स्वर की मात्रा को ही ठीक से समझना आवश्यक हैं और साथ में वर्ण तथा वर्ण के भेदों तथा वर्णमाला आदि को समझ बहुत जरूरी होता हैं ।
1 Hindi Vowels( स्वर) क्या हैं ?
2 . Hindi alphabet किसे कहते हैं ?
3 . हिंदी व्यंजन किसे कहते हैं – Hindi consonant
Swar Ki Matra in Hindi
किसका मात्रा क्या होता हैं मतलब कौन सा मात्रा किसके साथ बनता हैं –
जैसा की बता चुके हाँ की मात्रा स्वर वर्ण की होती हैं तो यह भी जानना जरूरी हैं की किसका मात्रा क्या होता हैं मतलब की किस वर्ण का मात्रा क्या होता हैं जिसके बारे में जानते हैं जो निम्नलिखित हैं ।
ध्यान दें – जिस वर्ण का उच्चारण करते समय किसी अन्य वर्ण का सहायता लेना न पड़े तो वह स्वर वर्ण कहा जाता हैं। जिसके संख्या 11 हैं जिस वर्ण के बारे में ऊपर बता दिया गया हैं।
हम ऊपर वाले खाड़ी में वर्ण को रखते हैं तथा निचे वाले खाड़ी में उसके मात्रा को रखते हैं –
अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ए | ऐ | ओ | औ |
नहीं होता | ा | ि | ी | ु | ू | े | ै | ो | ौ |
अं | अ: | ऋ |
ं | : | ृ |
ध्यान दें – अ की मात्रा नहीं होती हैं और अ से रहित व्यंजन हलन्त कहें जाते हैं। जैसे- क् ब् ल् व् द् व् स् ।
Hindi Matra Chart
मात्राएँ कितने प्रकार के होते हैं
हम जानते हैं कि स्वर के 13 मात्रा होते हैं परन्तु इसे तीन वर्गो में रखा गया हैं –
(1) ह्रस्व – इनके उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता हैं।
ह्रस्व स्वर एवं इनके मात्रा | इनके मात्रा से बनने वाले अक्षर |
अ | अनार , अमरुद , अमन, अगर , असम, अनाज , अफसर , अनसन, अपना , अरुण , अपमान इत्यादि । |
इ – ि | लिखना , पिता , मिटाना , मिनट , निकट इत्यादि । |
उ – ु | कुमार , खुशबू , गुम, सुजाता, सुनार इत्यादि । |
ऋ – ृ | पृथ्वी , कृति, मृत्यु , वृक्ष इत्यादि |
(2) दीर्घ स्वर – इसका उच्चारण करते ह्रस्व स्वर से दुगुना समय लगता हैं ।
दीर्घ स्वर एवं इनके मात्रा | इनके द्वारा बने अक्षर |
आ- ा | आनंद , आदत , आना , आसान , आवारा , आम, काम इत्यादि । |
ई – ी | सीता , रीत, प्रीत, गीत , पीपल , शीतल इत्यादि । |
ऊ – ू | सूरज, मूल , भूतत्व , भूगोल , इत्यादि । |
(3) प्लुत – इस स्वर के मात्रा का उपयोग करने में ह्रस्व का तीन गुना समय लगता हैं जिसका उपयोग किसी को बुलाने तथा चिल्लाने में किया जाता हैं, जैसे – ओउम , हे राम , हे श्याम आदि ।
स्वर मात्रा के प्रयोग देंखें :
ख + अ = ख
ख + ा = खा
ख + ि = खि
ख + ी = खी
ख + ु = खु
ख + ू = खू
ख + े = खे
ख + ै = खै
ख + ो = खो
ख + ौ = खौ
ख + ं = खं
ख + ः = खः
इसी प्रकार अन्य व्यंजन वर्णो के साथ मात्रा लगाकर अक्षर बनाते हैं चाहे वह अक्षर क , ग , घ , ग , च , य , र , ह आदि क्यों न हो ।
ध्यान दें – स्वर की मात्राएँ अकेले कुछ नहीं कर सकते हैं यह व्यंजन वर्ण के साथ मिलकर ही किसी अक्षर का निर्माण करते हैं और व्यंजन वर्ण भी स्वर मात्रा के सहायता से ही कोइ अक्षर बनाते हैं जिस अक्षर के सार्थक मेल से शब्द बनता हैं।
जैसे- हम पहले क व्यंजन वर्ण का प्रयोग करते हैं और यह भी देखते हैं किस प्रकार मात्रा व्यंजन वर्ण “क” के साथ मिलकर अक्षर का निर्माण करते हैं जिसे निचे कि तालिका से समझ सकते हैं-
यदि क के साथ स्वर वर्ण मिलता हैं तो क्या होगा जो निचे हैं –
क + अ = क
क + आ= का
क + इ =कि
क + ई = की
क + उ = कु
क + ऊ = कू
क + ए = के
क + ऐ = कै
क + ओ = को
क+औ = कौ
क + अं = कं
क + अं = कं
मतलब के के साथ स्वर के मात्रा जुड़ते चले जाते हैं जिस मात्राओं के बारे में ऊपर विस्तार से बता दिया गया हैं ।
और ऋ के साथ मिलने पर क + ऋ = कृ होता हैं
अर्थात क + ृ = कृ, जिसमें ृ मात्रा लगा हैं ।
Hindi Matra Chart
मात्राओं के कुछ विशेषताओं को देखते हैं-
(1) र के साथ उ या ऊ की मात्रा आता हैं तो –
र् + उ = रु होता हैं ।
जैसे- रुपया, रुई , रुकजाना , रुपाली रुमाल आदि ।
(2) र् + ऊ = रू
जैसे – रूपों ,रूप ,रूसी , रूदल , रूप आदि।
ऋ’ की मात्रा हमेशा व्यंजन वर्ण के साथ प्रयोग किया जाता हैं ।
जैसे – व् + ऋ = वृ – वृक्ष, वृत्त, वृकृति आदि
प् + ऋ = पृ- पृथ्वी
म् + ऋ = मृ – मृत्यु
निष्कर्ष – दोस्तों अब आपको Hindi Matra Chart के बारे में सभी जानकारिया मिल चूका होगा और हम उम्मीद करते हैं की मात्रा से सम्बंधित सारे बातें समझ गए होंगें ।
इन्हें भी पढ़ें –
1 . हिन्दू वर्ण व्यवस्था