Varnamala , Hindi Varnamala (वर्णमाला किसे कहते हैं ,परिभाषा , भेद एवं उदाहरण) :
परिचय( Introduction) – क्या आप जानते हैं की भाषा की उत्पति कैसे हुई क्योंकि वर्णमाला(Alphabet) का उत्पति भी भाषा के उत्पति का ही परिणाम हैं जो वर्ण अथवा अक्षर के रूप में व्यवस्थित हुई हैं । वैसे भी इंसान किसी चीज को तुरंत निर्धारित नहीं करती हैं जब उसकी आवश्यकता महसूस करने लगती हैं तो उसे जीवन का प्रमुख अंग बना लेती हैं और उसका प्रयोग करने लग जाते हैं । वर्णमाला(Varnamala) जिसका समान्य अर्थ वर्णमालाओं का समूह होता हैं मतलब वर्णो का वह समूह जो विभिन्न रूपों में आपस में मिलकर अक्षरों , शब्दों अथवा वाक्यों आदि का निर्माण करते हैं जिसके सहायता से हम अपने बातों को एक दूसरे के बीच रख पाते हैं , अतः इस पेज में Hindi Varnamala के सम्बंधित सभी प्रकार के जानकारियां मिलने वाली हैं जोकि बहुत महत्पूर्ण हैं जिसमें उन सभी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगें जो वर्णमालाओं से सम्बंधित हैं।
Hindi Varnamala
वर्णमाल के बारे में –
क्या आपने कभी सोचा हैं कि हम जो कुछ भी अपने मुँह से बोलते हैं वह क्या हैं तो ‘वह वर्ण हैं’ मुँह से बोला गया कोइ भी शब्द वर्णो का एक समूह होता हैं अथवा वह कोइ अक्षर हो सकता हैं और सबसे महत्पूर्ण बात यह हैं कि कोइ भी वर्ण क्यों न हो उसका उच्चारण मुँह से ही किया जाता हैं , तो अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि वर्णमाला क्या हैं ।
वर्णमाला क्या हैं ( What is Alphabet) – वर्णो के समूह को वर्णमाला कहा जाता हैं जिसके अंतर्गत प्रमुख रूप से स्वर वर्ण तथा व्यंजन वर्ण होते हैं और वर्णमालाओं में वर्णो की कुल संख्या 52 हैं जिसमें 11 स्वर वर्ण( Vowel sound) तथा 41 व्यंजन वर्ण(Consonant sound) हैं लेकिन सबसे पहले वर्ण(Sound) को जानना बहुत जरूरी हैं की वर्ण क्या होता हैं जिस वर्ण की परिभाषा निचे दी जा रही हैं।
वर्ण किसे कहते हैं (What is sound)- ध्वनि की मूल इकाई को वर्ण कहा जाता हैं , ध्वनि का मतलब आवाज होता हैं और जब वह अपनी मुल्यता स्थापित करता हैं तो वह वर्ण का रूप ले लेते हैं कहने के मतलब हैं की जब कोइ आवाज किसी सार्थक शब्द अथवा अक्षर के निर्माण में औचित्य सहायता प्रदान करता हैं तो वह वर्ण की संज्ञा प्राप्त कर लेते हैं दूसरी बात ध्वनि के परिभाषा में इकाई का प्रयोग किया गया हैं तो बता दें की इसका समान्य अर्थ ध्वनि की शार्थकता से हैं उसकी मुल्य महत्त्व से हैं ।
जैसे – अ , क , म , ह , आ , ई , ब , प , त , य , न , ज , क्ष , र , ल , च , ढ , भ , स , उ , ग , ऊ , ओ , अं , औ आदि वर्ण हैं ।
वर्ण के भेद/प्रकार :
यह दो प्रकार के होते हैं स्वर और व्यंजन वर्ण जिसकी जानकारी निचे दी गई हैं-
स्वर वर्ण किसे कहते हैं(What is vowel sound) – बिलकुल आसान भाषा में कहे तो जिस वर्ण का उच्चारण अपने आप हो तो वह स्वर वर्ण कहा जाता हैं दूसरे शब्दों में जिस वर्ण का उच्चारण करते समय व्यंजन वर्ण का सहायता लेना न पड़े तो वह स्वर वर्ण कहलाता हैं कुल बात यह हैं इसका उच्चारण बिलकुल स्वतंत्र रूप से होता हैं इस वर्ण को जब भी बोला जाता हैं तो इसके साथ कोइ दूसरा वर्ण बिलकुल नहीं आता हैं ये अकेला ही रहता हैं । हिंदी व्याकरण के अनुसार इसकी संख्या 11 हैं जो अ से औ तक हैं तथा ऋ शामिल हैं।
जैसे- अ , ओ , इ , उ , ऊ , ई, ए , ऐ , ओ , औ , ऋ , आ
व्यंजन वर्ण किसे कहा जाता हैं(Consonant sound)- जिस वर्ण का उच्चारण करते समय स्वर वर्ण का सहायता लेना पड़े तो वह व्यंजन वर्ण कहलाता हैं अर्थात व्यंजन वर्ण का उच्चारण करते समय स्वर वर्ण का सहायता लेना पड़ता हैं कहने का मतलब हैं की जिस वर्ण को बोलते समय स्वर वर्ण का सहारा लेना पड़े तो वह वर्ण व्यंजन वर्ण कहा जाता हैं मतलब जब व्यंजन वर्ण को बोलते हैं तो उसके साथ स्वर स्वर का भी उच्चारण हो जाता हैं , व्यंजन वर्ण की संख्या 41 हैं जिसे निचे दर्शाया गया हैं ।
जैसे –
क | ख | ग | घ | ङ |
च | छ | ज | झ | ञ |
त | थ | द | ध | न |
ट | ठ | ड | ढ | ण |
प | फ | ब | भ | म |
य | र | ल | व | श | ष | स | ह | क्ष | त्र |
ज्ञ |
इसके साथ 5 वर्ण ओर हैं-
अं | अः | ड़ | ढ़ | लृ |
इस प्रकार ऊपर दिए गए तालिकाओं से वर्ण एवं वर्णो के प्रकार के बारे में समझ गए होंगें अब आगे बताने जा रहे हैं ‘बारह खाड़ी’ के बारे में जिसका बहुत महत्व हैं जिसे बनाने के लिए स्वर वर्ण का सहायता लेना पड़ता हैं जिसका मात्रा किसी भी व्यंजन वर्ण के साथ जुड़ जाता हैं और खाड़ी का निर्माण कर लेते हैं, वास्तविक में इसी के सहायता से शब्द बनता हैं और शब्दों के सार्थक मेल से वाक्य बन जाता हैं अतः इन सब के बारे में निचे जानकारिया दी गई हैं ।
जैसा की हम बताए हैं की स्वर की मात्रा किसी व्यंजन वर्ण से मिलते हैं अतः हम क वर्ण के साथ जोड़ते हैं जो निम्नलिखित हैं ।
जैसे –
क + अ = क
क + आ = का
क + इ = कि
क + ई = की
क + उ = कु
क + ऊ = कू
क + ए = के
क + ऐ = कै
क + ओ = को
क + औ = कौ
क + कं = कं
क + क: = कः
इसी प्रकार ख , ग , घ , च , च , य , र , ल आदि जितने भी व्यंजन वर्ण हैं उसके साथ स्वर वर्ण लगाते जायेंगें और अक्षर बनते जायेंगें बिलकुल क , का , कि , की , के तरह।
Varnamala
हिंदी वर्ण का मात्रा किसे कहते हैं- वर्ण के उच्चारण में जितना समय लगता हैं वह मात्रा कहलाता हैं क्योंकि हर एक वर्ण को बोलने के लिए समय तो लगता ही हैं अतः लगा हुवा समय मात्रा कहलाता हैं जिनकी संख्या 12 हैं क्योंकि अ का मात्रा नहीं होता हैं , दूसरी बात मात्रा केवल स्वर वर्ण का होता हैं व्यंजन वर्ण का नहीं , जिसे निम्न रूप से दर्शया गया हैं।
मात्रा का संकेत –
नहीं | ा | ि | ी | ु | ू | े | ै | ो | ौ |
ं | : | ृ |
Note- अ का मात्रा नहीं होता हैं।
आ का मात्रा – ा
इ का – ि
ई का – ी
उ का – ु
ऊ का – ू
ए का – े
ऐ का – ै
ओ का – ो
औ का – ौ
अं का – ं
अ: का – :
ऋ का – ृ
स्वर के भेद –
इनके दो भेद हैं-
(1) ह्रस्व- जिस स्वर के उच्चारण में एक मात्रा लगे तो वह ह्रस्व स्वर कहलाता हैं ।
जैसे – इ उ अ
(2) दीर्घ –जिस स्वर के उच्चारण में दो मात्रा लगता हो तो वह दीर्घ स्वर कहा जाता हैं ।
जैसे – आ ऊ ई
Varnamala
कुछ महत्पूर्ण वर्णो की जानकारियां :
1 . प्लुत स्वर – जिसकी उच्चारण में तीन मात्रा लगे तो वह प्लुत स्वर कहा जाता हैं ऐसे वर्ण का प्रयोग चिल्लाने अथवा किसी को पुकारने आदि में किया जाता हैं ।
जैसे – हे श्याम , ओउम , हे राजू आदि ।
2 . उष्म वर्ण – ह , ष , श , स को उष्म वर्ण कहा जाता हैं ।
3 . अन्तस्थ वर्ण – य र ल व् को अन्तस्थ वर्ण कहा जाता हैं ।
4 . स्पर्श वर्ण अथवा वर्गीय वर्ण – जैसा की पाँच वर्ग हैं क , ख , ग , घ से प , फ , ब , भ , तक इसी को स्पर्श वर्ण कहा जाता हैं , फिर से बताता हूँ आप क , ख , ग जानते हैं जिसमें पाँच वर्ण हैं उन्ही पाँचों वर्णो को स्पर्श वर्ण कहा जाता हैं जिसके साथ में च वर्ग , त वर्ग , ट वर्ग , प वर्ग भी शामिल हैं और इन्हें स्पर्श वर्ण इसलिए कहा जाता हैं की क्योंकि इन्हें बोलने के लिए मुँह के विभिन्न स्थान का प्रयोग किया जाता हैं जैसे कंठ , तालु , मूर्धा , दाँत , ओष्ठ आदि ।
ध्यान दें – कवर्ग का मतलब क , ख , ग , घ , ङ होता हैं इसीतरह च वर्ग , ट वर्ग , प वर्ग , त वर्ग होता हैं ।
5 . घोष वर्ण – जिन वर्ण के उच्चारण में केवल नाद का उच्चारण होता हैं तो वह घोष वर्ण कहलाता हैं अर्थात स्पर्श वर्ण के तीसरा , चौथा , पाँचवाँ वर्ण और य , र , ल , व , ह घोष वर्ण कहा जाता हैं ।
6 . अघोष वर्ण – स्पर्श वर्ण में प्रत्येक वर्ग का पहला , दूसरा और श , ष , स को अघोष वर्ण कहा जाता हैं , जिसका उच्चारण नाद की जगह श्वास का प्रयोग होता हैं ।
7 . अनुनासिक वर्ण – प्रत्येक वर्ग का अंतिम वर्ण मतलब पाँचवाँ वर्ण अनुनासिक कहलाता हैं ।
जैसे – ण , न , म , ञ , ङ
8 . अल्पप्राण – प्रत्येक वर्ग का पहला , तीसरा और पाँचवाँ वर्ण अल्पप्राण कहलाता हैं ।
9 . महाप्राण – प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण महाप्राण कहलाता हैं ।
वर्णों का उच्चारण स्थान – मुख के जिस स्थान से जो वर्ण या ध्वनि निकलती है, वह भाग उस वर्ण या ध्वनि का उच्चारण स्थान कहलाता है ।
जैसे –
वर्ण | उच्चारण स्थान | नाम |
अ, आ, कवर्ग, ह, और : (विसर्ग) | कण्ठ | कण्ठ्य |
इ, ई, चवर्ग, य और श | तालु | तालव्य |
ॠ, ॠ, टवर्ग, र और ष | मूर्धा | |
तवर्ग, ल, ऌ और स | दन्त | दन्त्य |
उ, ऊ और पवर्ग | ओष्ठ | ओष्ठ्य |
ङ, ञ, ण, न और म | नासिका | अनुनासिक |
व | दन्त + ओष्ठ | दन्तौष्ठ्य |
ओ, औ | कण्ठ + ओष्ठ | कण्ठौष्ठ्य |
ए. ऐ | कण्ठ + तालु | कण्ठ-तालव्य |