Vachan In Hindi , वचन क्या हैं, इनके कितने भेद होते हैं :
वचन किसे कहते हैं- संख्या को वचन कहा जाता हैं जिससे ये पता चलता हैं किसी वस्तु की संख्या कितनी हैं अर्थात ऐसा शब्द जिसके अर्थ से संख्या का भाव व्यक्त होता हो तो वह वचन कहा जाता हैं। वचन का अर्थ कहना भी होता हैं लेकिन व्याकरण के दृष्टिकोण से इसका अर्थ संख्या होता हैं जिसके आधार पर यह कहना सार्थक होता हैं की संज्ञा, सर्वनाम , विशेषण ,और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध हो तो वह ‘वचन’ कहलाते हैं। हिंदी व्याकरण में यह बहुत महत्पूर्ण स्थान रखती हैं और यह दो प्रकार के होते हैं जिसे उदाहरण के द्वारा अच्छा से समझा जा सकता हैं
जैसे – किताब , कलम , कुर्सी, लड़का , बच्चा , गाय , हाथी , रोटी आदि एक ‘वचन’ में हैं ।
तथा किताबें , कलमें , लड़के, गायें, हाथियाँ, रोटियाँ, थालियाँ आदि बहुवचन में हैं ।
Vachan In Hindi
वचन के भेद :
हिंदी व्याकरण के अनुसार वचन के दो भेद होते हैं जो निम्नलिखित हैं –
1 एक वचन
2 बहुवचन
व्याख्या-
1 एक वचन- जिससे किसी ‘एक’ वस्तु व्यक्ति या स्थान का बोध हो तो वह एक वचन कहा जाता हैं ।
जैसे – लड़का , लड़की , कलम , घड़ी , घोड़ा , किताब , पलंग , पंखा , पेड़ , गाँव आदि , इन सारे शब्दों से किसी ‘एक’ वस्तु व्यक्ति का बोध हो रहा हैं अतः सारे शब्द एक वचन में हैं।
2 बहुवचन- जिससे ‘एक‘ से अधिक वस्तु(पदार्थ) व्यक्ति का बोध हो तो वह बहुवचन कहा जाता हैं ।
जैसे – लड़के , किताबें , लड़कियां , कलमें , किताबें , पंखें , पेड़ों , गाँवों, घोड़े , घड़ियाँ , थालियाँ , बच्चे आदि बहुवचन होते हैं।
(ध्यान दें– हिंदी व्याकरण में दो ही वचन मान्य हैं हमें संस्कृत व्याकरण में तीन वचन देखने को मिलते हैं।)
वचन के कारण – संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण, और क्रिया के रूप में विकार तो उत्पन्न होते हैं परन्तु सर्वनाम विशेषण और क्रिया के रूप संज्ञाओं पर ही आश्रित होते हैं अतः वचन में संज्ञा के रूपांतर की प्राथमिकता रखती हैं, विकार उत्पन होने का मतलब होते हैं गुणों एवं रूपों में परिवर्तन होना।
Vachan In Hindi
कारक किसे कहते हैं कारक के कितने भेद होते हैं ।
बहुवचन बनाने का नियम :
वह संज्ञा ही तो होता हैं जो एक वचन या बहुवचन में होते हैं और संज्ञा से ही परिवर्तित होते हैं इसप्रकार वचन के अधीन संज्ञा दो रूपों में परिवर्तित होते हैं जो निम्न हैं ।
1 विभक्ति रहित
2 विभक्ति सहित
विभक्ति-रहित संज्ञाओं से बहुवचन बनाने का नियम –
1 पुँल्लिंग शब्द के ‘आ’ का ‘ए’ करने से ।
जैसे –
एक वचन | बहुवचन | एक वचन | बहुवचन |
लड़का | लड़के | बच्चा | बच्चें |
कोवा | कोवें | चीता | चीते |
कपड़ा | कपड़ें | लोटा | लोटे |
पहिया | पहिये | लंगड़ा | लंगड़े |
आदि ।
*अपवाद – मामा, दादा, काका , नाना , बाबा , पिता , दाता, आत्मा , आदि के रूप दोनों वचन में एक समान रहता हैं।
2 आकारांत स्त्रीलिंग एकवचन संज्ञा शब्द के अंत में ‘एँ’ लगाने से बहुवचन बनता हैं ।
एक वचन | बहुवचन |
शाखा | शाखाएँ |
लता | लताएँ |
कथा | कथाएँ |
माता | माताएँ |
दिशा | दिशाएँ |
माला | मालाएँ |
धारा | धाराएँ |
अध्यापिका | अध्यापिकाएँ |
3 अकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन अंतिम ‘अ’ को ‘एँ’ करने से बनता हैं –
जैसे –
एक वचन | बहुवचन |
बात | बातें |
बहन | बहनें |
रात | रातें |
भेड़ | भेड़ें |
सड़क | सड़कें |
छत | छतें |
रात | रातें |
आदत | आदतें |
आदि।
3 अन्त्य ‘ई’ में ‘याँ’ जोड़ने से –
एक वचन | बहुवचन |
छवि | छवियाँ |
निति | नीतियाँ |
4 अन्त्य ‘ई’ को ‘इ’ कर ‘याँ’ जोड़ने से –
जैसे –
एक वचन | बहुवचन |
रोटी | रोटियाँ |
डाली | डालियाँ |
गोपी | गोपियाँ |
नदी | नदियाँ |
5 अन्त्य ‘या’ पर चंद्र बिंदु लगा देने से –
जैसे –
एक वचन | बहुवचन |
चिड़िया | चिड़ियाँ |
गुड़िया | गुड़ियाँ |
आदि ।
6 अन्त्य ‘ऊ’ को ‘उ’ कर एँ जोड़ने से –
जैसे –
एक वचन | बहुवचन |
बहू | बहुएँ |
बाजू | बहुएँ |
7 बहुत से एक वचन शब्दों में – गण, वर्ग , जन, वृन्द , लोग , इत्यादि लगाकर बहुवचन बनाया जाता हैं –
जैसे –
एक वचन | बहुवचन |
पाठक | पाठकगण |
मंत्री | मंत्रीगण |
आप | आपलोग |
छात्र | छात्रवृन्द |
अधिकारी | अधिकारीवर्ग |
साधु | साधुगण |
8 इकारांत और ईकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में ‘इयाँ’ जोड़कर बहुवचन बनाते हैं , दीर्घ ईकारांत ( ई- ी ) के स्थान पर ह्रस्व ( इ – ि ) हो जाता हैं।
एकवचन | बहुवचन |
लड़की | लड़कियाँ |
निति | नीतियाँ |
विधि | विधियाँ |
स्त्री | स्त्रियाँ |
नदी | नदियाँ |
सखी | सखियाँ |
नारी | नारियाँ |
रानी | रानियाँ |
तिथि | तिथियाँ |
Vachan In Hindi
9 उकारांत और ऊकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में ‘एँ’ जोड़कर बहुवचन बनाया जाता हैं , जहाँ दीर्घ ‘ऊ’ के स्थान पर ह्रस्व ‘उ’ हो जाता हैं और उ , ऊ का एँ होता हैं।
एक वचन | बहुवचन |
वस्तु | वस्तुएँ, |
धेनु | धेनुएँ |
वधू | वधुएँ |
बहू | बहुएँ |
10 पुँल्लिंग आकारांत से भिन्न ( अ, इ, ई, उ , ऊ ) संज्ञाएँ नहीं बदलती हैं, इनके वचन की पहचान क्रिया द्वारा होती हैं । जैसे –
एक वचन | बहुवचन |
हाथी आता हैं । | हाथी आते हैं । |
राजु हैं । | राजु आए हैं । |
मीत आया । | मीत आए । |
विभक्ति-सहित संज्ञाओं को बहुवचन बनाने के नियम :
कारक चिन्ह सहित होने पर शब्दों के बहुवचन रूप बनाने में लिंग के कारण कोइ अंतर नहीं पड़ता हैं ।
1 सभी अकारान्त , आकारांत (संस्कृत के शब्दों को छोड़कर) और हिंदी फारसी एकारांत के अंतिम ‘अ‘ तथा ‘आ‘ के स्थान पर ‘ओं‘ कर देते हैं ।
जैसे-
एक वचन | बहुवचन | विभक्ति चिन्ह के साथ प्रयोग |
बात | बातों | बातों की झड़ी |
लड़का | लड़कों | लड़कों की भीड़ |
रास्ता | रास्तों | रास्तो में भीड़ |
चोर | चोरों | चोरों की भीड़ |
घोड़ा | घोड़ों | घोड़ों की दौड़ |
2 संस्कृत आकारांत संज्ञाओं और सभी उकारांत,ऊकारांत ,अकारान्त संज्ञाओं के बाद ‘ओं’ जोड़ दिया जाता हैं और प्रत्यय जोड़ने के पहले ‘ऊ‘ को ‘उ‘ कर दिया जाता हैं ।
एक वचन | बहुवचन | विभक्ति चिन्ह के साथ प्रयोग |
वस्तु | वस्तुओं | वस्तुओं के भाव बढ़ रहे हैं । |
साधु | साधुओं | साधुओं की पूजा करो । |
घर | घरों | घरों में सम्मान बाधाओं |
वधू | वधुओं | वधुओं से काम लो । |
आदि ।
3 सभी इकारांत और ईकारांत संज्ञाओं के उपारांत ‘यों‘ जोड़ दिया जाता हैं । ई को इ कर देते हैं ।
जैसे –
एक वचन | बहुवचन | विभक्ति – चिन्ह |
मुनि | मुनियों | यह मुनियों की यज्ञशाला हैं । |
गली | गलियों | गलियों में मत घूमो । |
नदी | नदियों | नदियों की धरा तेज हैं । |
साड़ी | साड़ियों | साड़ियों की कीमत लगा दो । |
आदि ।
वचन के सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें –
- कुछ जातिवाचक शब्द बहुवचन में ही प्रयुक्त होते हैं जैसे – आँसू , भाग्य , प्राण , होश आदि ।
- आदर के लिए बहुवचन आते हैं – साधु जी , कवी जी , पंत जी आदि ।
- आँख , कान , ऊँगली , पैर , दाँत, बाल आदि बहुवचन में आते हैं ।
- द्रव वाचक , भाव वाचक , समूह वाचक संज्ञाएँ , प्रायः एक वचन में होता हैं ।
जैसे – पानी , दूध , ईमानदारी , अच्छाई , वर्ग , आदि ।
इन्हें भी पढ़ें – शून्य एक वचन हैं या बहुवचन ।