Shabd ki Paribhasha ,शब्द किसे कहते हैं :
शब्द की परिभाषा – वर्णो के सार्थक मेल को शब्द कहा जाता हैं अर्थात शब्द दो या दो से अधिक वर्णो(अक्षरों) का समूह होता हैं । वह शब्द सार्थक होंगें या निरर्थक लेकिन हिंदी व्याकरण में निरर्थक शब्द की स्थान नहीं दी जाती हैं । भाषा की उत्पति होने के साथ ही वर्णो की उत्पति होना प्राकृतिक था परन्तु यह भाषा या वर्ण तक ही सिमित बिलकुल नहीं रह सकते थे व्यक्ति को अपनी बात एक दूसरे के साथ रखने के लिए सिर्फ शब्दों की आवश्यकता होती हैं क्योंकि शब्द के बिना अपनी बातों को किसी के भी सामने प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं और न ही किसी वस्तु (पदार्थ) के नाम दे सकते हैं , दूसरी बात यह हैं की शब्दों के सार्थक समूह से ही एक वाक्य का निर्माण होता हैं इसलिए शब्द को समझना अति आवश्यकत हो जाता हैं साथ में इनके विभिन्न रूपों का भी अध्ययन करना जरूरी होता हैं।
Shabd ki Paribhasha
शब्द क्या हैं :
जैसा की आप समझ गए होंगें की शब्द वर्णो के सार्थक मेल से बनते हैं जिसका मूल अर्थ ध्वनि से हैं और शब्दों के रचना में ध्वनि के साथ अर्थ का होना अति आवश्यक हैं साधारण अर्थो में समझा जाए तो इसे समझना आसान हैं जैसे – जो सुनाई पड़े वह शब्द हैं और जो समझ में आ आए वह अर्थ कहा जाता हैं।
हम उदाहरण से शब्दों को अच्छी तरह से समझते हैं-
‘घर’ एक शब्द हैं जो ‘घ’ और ‘र‘ वर्ण के मिलने से बना हैं अर्थात घ + र = घर ।
कमल – क + ल + म = कलम , कलम एक शब्द हैं जो तीन वर्णो के मिलने से बना हैं ।
बालक – बा + ल + क = बालक इसमें में तीन वर्णो का मेल हैं ।
गीता – ग + ई + त + आ = गीता , इस शब्द में चार वर्ण है।
किराना – क + इ + र + आ + न + आ = किराना ।
इसी प्रकार के अन्य बहुत सारे शब्द होते हैं ।
1स्वर की मात्रा, स्वर व्यंजन की मात्रा ।
2 हिंदी वर्णमाला क्या हैं व्याख्या एवं उदाहरण ।
शब्द का भेद:
*शब्द मूलतः दो ही प्रकार के होते हैं लेकिन जैसे-जैसे आवश्यकता होती गई वैसे ही यह वर्गीकृत होती गई ।
1 ध्वनि-प्रधान
2 वर्णात्मक या वर्ण प्रधान
इन दोनों भेदों का व्यख्या –
1 ध्वनि-प्रधान – ध्वनि शब्द निरर्थक होते हैं ऐसे वाक्यों से शार्थकता नहीं आती हैं निरर्थक शब्दों का स्थान व्याकरण में नहीं दिया जाता हैं कुछ निरर्थक शब्दों का उदाहरण दें रहे हैं –
जैसे – ड़ाजो, लमक, रघ ड़ाघो आदि हो सकता हैं कही पर इन शब्दों की शार्थकता मिल जाए लेकिन हमें सिर्फ निरर्थक शब्दों को समझना हैं।
2 वर्णात्मक या वर्ण प्रधान –
यह शब्द सार्थक होते हैं जिसमें ध्वनि के साथ अर्थ का मिलान होता हैं जिससे कारन शार्थकता आ जाती हैं और व्याकरण में सार्थक शब्दों पर ही विचार की जाती हैं कुछ सार्थक शब्द का उदाहरण देतें हैं जैसे – पानी , घर , घोड़ा , गाय , अर्जुन आदि जो सब सार्थक शब्द हैं ।
(ध्यान दें – ध्वनि – प्रधान अलग हैं तथा ध्वनि के साथ अर्थ का मिलना अलग हैं )
*वर्गीकरण के विचार से शब्दों के चार भेद हैं जो निम्नलिखित हैं-
1 उदगम के विचार से ।
2 व्युत्पत्ति के विचार से ।
3 अर्थ के विचार से ।
4 रूपान्तर के विचार से ।
(ध्यान दें – विचार से या दृष्टि से दोनों समान हैं जैसे – उदगम के विचार से कहे या उदगम के दृष्टि से दोनों एक ही अर्थ देते हैं यदि आप अलग-अलग किताबों को पढेंगें तो भिन्नता देखने को मिल सकती हैं लेकिन आपको खुद समझना है की वास्तविकता क्या हो सकता हैं , शब्द को समझना उतना भी कठिन नहीं हैं बस इनके प्राकृतिक रूप को समझना चाहिए )
अब उदगम के विचार/ दृष्टि से शब्द के पाँच भेद जो निम्न हैं –
1 तत्सम
2 तद्भव
3 अर्द्ध-तत्सम
4 देशज
5 विदेशज
इन्हें भी पढ़ें – भाषा की उत्पति कैसे हुई ।