oo ki matra , oo ki matra wale shabd , ऊ( ू ) की मात्रा एवं ऊ कि मात्रा के शब्द :
परिचय(introduction)– o एक अंग्रेजी वर्ण(sound) हैं जिसका जिसका doble ‘oo‘ का हिंदी अर्थ ‘ऊ’ होता हैं जो हिंदी वर्णमाला का एक स्वर वर्ण हैं मतलब oo का हिंदी अर्थ स्वर वर्ण ‘ऊ’ होता हैं और इनका मात्रा ‘ ू’ होता हैं इस पेज में विशेष रूप से oo ki matra (ऊ की मात्रा) के बारे में जानकारियां प्राप्त करेंगें तथा साथ में इन मात्राओं से बने शब्द के बारे में भी अध्ययन करेंगें और ये भी जानेंगें की इनके मात्रा का प्रयोग अलग-अलग वर्णो के साथ कैसे किया जाता हैं अर्थात यह अन्य वर्णो के साथ मिलकर कैसे शब्दों का निर्माण करते हैं । हम जानते हैं की हिंदी वर्णमाला में वर्ण दो प्रकार के होते हैं पहला स्वर वर्ण तथा दूसरा व्यंजन वर्ण होता हैं और याद रखना हैं कि मात्रा स्वर वर्ण का होता हैं व्यंजन वर्ण का नहीं ।
oo ki matra wale shabd
जैसा की हम जान चुके हैं की मात्रा स्वर वर्ण की होती हैं और ‘ऊ’ एक स्वर वर्ण हैं जिसकी मात्रा ू होती हैं इसके बारे में आगे जांनने से पहले यदि यह जान ले की मात्रा क्या होता हैं तो शयद हमें समझने में आसानी होगी अतः मात्रा के बारे में भी जान लेते हैं जिसकी परिभाषा निम्नलिखित हैं ।
मात्रा किसे कहते हैं – वर्ण के उच्चारण में जितना समय लगता हैं वही मात्रा कहलाता हैं , क्या मात्रा के उच्चरण में समय लगता हैं तो बता दें की वर्णो का उच्चारण मुँह के अलग -अलग भागो से होता हैं जैसे अ का उच्चारण कंठ से होता हैं और प का उच्चारण ओठ से होता हैं इन सब चीजों की जानकारियां वर्णो के उच्चरण स्थान में आप पढ़ें होंगें , कहने का मतलब हैं की किसी-न-किसी वर्ण का उच्चारण स्थान मुँह के किसी भाग से ही होता हैं जिसका उच्चारण करने में समय तो आवश्यक लगता हैं और जिस वर्ण को उच्चारण करने में जितना समय लगता हैं वही मात्रा कहा जाता हैं । मात्रा तीन प्रकार के होते हैं ह्रस्व , दीर्घ और प्लुत जहाँ ह्रस्व के उच्चारण में एक मात्रा लगता हैं दीर्घ के उच्चारण में दो मात्रा लगता हैं तथा प्लुत के उच्चारण में दो से अधिक मात्रा लगता हैं जिसके बारे में आप वर्णमाला में विस्तार से जानेंगें अभी तो oo ki matra के बारे में जानना हैं अतः हम प्रमुख topic की ओर बढ़ते हैं ।
व्याख्या –
(1) ऊ की मात्रा किसे कहा जाता हैं ?
सबसे पहले ये जानना हैं की oo की मात्रा क्या होता हैं , चूँकि यह अंग्रेजी के Alphabet ‘O’ हैं जिसे Doble किया गया हैं और doble करने पर oo बनता हैं जिसका अर्थ हिंदी के लिए ऊ होता हैं जो एक स्वर वर्ण हैं जिसकी मात्रा ‘ ू’ होता हैं अतः ू को ऊ की मात्रा कहा जाता हैं ।
(2) ऊ की मात्रा का प्रयोग कैसे करते हैं ?
जब कोइ मात्रा किसी अन्य वर्ण के साथ मिलता हैं तो वह एक अक्षर बनता हैं और ऊपर बता चुके हैं की मात्रा स्वर वर्ण का होता हैं व्यंजन वर्ण का नहीं इसलिए मात्रा का प्रयोग व्यंजन वर्ण के साथ ही करते हैं अब देखते हैं की ऊ की मात्रा का प्रयोग व्यंजन वर्ण के साथ किस तरह करते हैं जिसकी व्यख्या निचे करते हैं ।
क + ऊ = कू ( यहाँ पर आप देख रहे हैं की ऊ का मात्रा क में मिलकर कू बन गया हैं )
प + ऊ = पू ( यहाँ पर भी प में ऊ की मात्रा ू लग गया हैं और मात्रा लगने पर पू बन जाता हैं )
न + ऊ = नू ( स्पष्ट हैं की ऊ का मात्रा ू लगने पर पू बन जाता हैं )
इस प्रकार आप समझ गए होंगें की ऊ का मात्रा लगने पर अन्य वर्ण में कैसे परिवर्तन हो जाता हैं मतलब क में जुड़ा तो कू बन गया , प में जुड़ा तो पू बन गया हैं और न में जुड़ा तो नू बन गया इसीतरह आप किसी भी व्यंजन वर्ण के साथ जोड़ेगें तो उसका मात्रा उस वर्ण में जुड़ जायेगा । हम कुछ उदाहरण लेते हैं जो निम्नलिखित हैं ।
भा + ल + ऊ = भालू
का + ल + ऊ = कालू
न + ऊ + तन = नूतन
चा + ल + ऊ = चालू
जा + द + ऊ = जादू इत्यादि ।
Note( ध्यान दें ) – जब स्वर वर्ण व्यंजन वर्ण के साथ मिलते हैं तो स्वर वर्ण का सीधा प्रयोग न करके उसके मात्रा का प्रयोग किया जाता हैं जो व्यंजन वर्ण के साथ मिलकर नए अक्षर का निर्माण करते हैं और हिंदी वर्णमाला में कुल 13 मात्रा होते हैं ।
(3) ऊ की मात्रा से शब्द कैसे बनाते हैं ?
अब बात आती हैं की ऊ की मात्रा से शब्द कैसे बनाया जाए तो आप निचे देख सकते हैं की किस प्रकार वाक्य बनाया जाता हैं ।
जैसे – प + ऊ + न + अ + म + अ = पूनम ( जहाँ प में ऊ का मात्रा लगा हैं जोकि मात्रा के मिलने से पू बना हैं और अन्य वर्ण न तथा म मिलकर पूनम बन गया हैं ) इसीतरह –
सूरज = स + ऊ + र + अ + ज + अ ,
कानून = क + आ + न + ऊ + न + अ ,
पूरब = प + ऊ + र + अ + ब + अ ,
राजू = र + आ + ज + ऊ ,
शालू = श + आ + ल + ऊ ,
आप हर एक वाक्य में देख रहे हैं की स्वर वर्ण OO ( ऊ ) का प्रयोग सीधे न होकर मात्रा के रूप में होते हैं अतः इसीप्रकार oo ki matra wale shabd बनता हैं ।
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