Nijvachak sarvanam , निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं , परिभाषा और उदाहरण- हिंदी व्याकरण ।

 

Nijvachak sarvanam , निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं :

परिभाषा – जिससे निजता का बोध हो तो वह निजवाचक सर्वनाम कहा जाता हैं  निजता का अर्थ होता हैं ‘स्वंग’ अपनापन या निज होता हैं। यह सर्वनाम तीनों पुरूषों (उत्तम पुरूष, मध्यम पुरूष एवं अन्य पुरुष) में निजत्व का बोध कराता हैं जैसे – स्वंग , आप , निज आदि ।

वाक्य द्वारा समझते है – 

मैं स्वंग लिख सकता हूँ ।

हमलोग अपने आपको  मदद कर सकते हैं ।

वह अपना काम स्वंग करता हैं ।

उसने अपने आप को धोखा दिया ।

मैं स्वंग आऊंगा ।

अर्थात जिस सर्वनाम से ‘स्वंग’ या ‘निज’ का बोध होता हैं  और निजवाचक सर्वनाम का प्रयोग वक्ता अपने लिए करता हैं और हम यह भी जानते हैं की कर्ता के बिना कोइ भी क्रिया संभव नहीं हैं जो वाक्यों के रूप में प्रयुक्त होता हैं और व्याकरण यह बताता हैं की किस वाक्य को कहा किस रूप में प्रस्तुत करना हैं।

 

 

Nijvachak sarvanam 

निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं:

जैसा की आप समझ गए होंगें की निजवाचक का सम्बन्ध कर्ता के निजता से हैं जो स्वंग कोई भी कार्य को स्वंग करते हैं इससे ज्यादा कुछ समझने की आवश्यकता नहीं हैं जिसे आप ऊपर के उदाहरण से समझ गए होंगें अब एक ही बात को बार- बार दोहराने से क्या फायदा हो सकता हैं।

 

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निजवाचक ‘आप’ तथा पुरुष वाचक ‘आप’  में अंतर :

1 पुरूषवाचक ‘आप’ यदपि एक का वाचक होता हैं,तथापि बहुवचन में प्रयुक्त होता हैं किन्तु निजवाचक’आप’ एक ही रूप से दोनों वचनों में होता हैं।

2 पुरुष वाचक ‘आप’ का प्रयोग केवल मध्यम पुरुष तथा अन्य पुरूष के लिए होता हैं लेकिन निजवाचक ‘आप’  तीनो पुरूषों में होता हैं।

3 आदरसूचक ‘आप’ वाक्य में अकेला प्रयुक्त होता हैं परन्तु निजवाचक ‘आप’ दूसरे सर्वनामों के सम्बन्ध से आता हैं ।

 

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