Kriya kise kahate hain , क्रिया के कितने भेद होते हैं, परिभाषा एवं उदाहरण –
क्रिया किसे कहते हैं – जिसके द्वारा कर्ता अपने किसी काम को सम्पन करते हैं वह क्रिया कहलाते हैं अर्थात जिस शब्द के द्वारा कर्ता जो भी काम करते हैं वही शब्द क्रिया कहे जाते हैं अतः क्रिया से किसी काम का होना होता हैं।
जैसे – वह खाता हैं – इस वाक्य में ‘वह‘ कर्ता हैं तथा खाना क्रिया हैं क्योंकि खाने से ही कर्ता का काम सम्पन हो रहा हैं मतलब की ‘खाना’ शब्द से ही कर्ता का काम हो रहा हैं ।
श्याम विद्यालय जाता हैं – इस वाक्य में श्याम कर्ता हैं जिसे विद्यालय जाना हैं और विद्यालय जाने के लिए चलना पड़ेगा तभी वह अपने विद्यालय तक पहुंच सकता हैं इसलिए इस वाक्य में ‘जाना‘ क्रिया हैं क्योंकि जाने से ही कार्य का संपादन हो रहा हैं इस प्रकार हम यह भी कह सकते हैं कि- जिससे कार्य का सम्पादन हो उसे क्रिया कहते हैं ।
Kriya kise kahate hain
क्रिया के कितने भेद होते हैं:
क्रिया के भेद और उसके प्रकार को पढ़ने समझने से पहले क्रिया के सम्बंधित कुछ तथ्यों को समझ लेते हैं –
- तथ्य इस प्रकार हैं कि बिना क्रिया के वाक्य कभी नहीं बनती हैं क्रिया के बिना अकेले कर्ता(subject) कुछ नहीं कर सकते हैं हमलोग हमेशा कुछ-न-कुछ आवश्यक करते रहते हैं यदि आप कुछ भी नहीं कर रहे हैं फिर भी क्रिया के रूप में ‘कुछ नहीं करना’ क्रिया हैं जैसे कि- रमेश कुछ नहीं करता हैं इस वाक्य में कुछ नहीं करना क्रिया हैं । यदि आप सोए हैं बैठें हैं तो सोना और बैठना क्रिया हैं यहाँ तक कि कोइ मर भी जाए तो ‘मरना‘भी क्रिया हैं ।
- क्रिया के भेदों को समझने के लिए थोड़ा सा इनके वास्तविकता(Reality) को समझ लेते हैं क्योंकि अंग्रेजी व्याकरण के तुलना में हिंदी व्याकरण के रूप थोड़ा अलग हैं हिंदी व्याकरण में क्रिया का सम्बन्ध धातु से होता हैं क्योंकि धातु से ही क्रिया बनते हैं यदि धातु को परिभाषित किया जाए तो जिस मूल शब्द से क्रिया बनती हैं उसे धातु कहा जाता हैं समान्यतः धातु में ‘ना’ जोड़ने से क्रिया बनती हैं लेकिन सामन्यतः रूम से धातु और क्रिया को समतुल्य समझा जाता हैं बस आवश्यकता पड़ने पर इसे अलग-अलग तरीको से उपयोग में ले लिए जाते हैं।
- पढ़ना – पढ़ना क्रिया हैं जिसमें ‘पढ़’ मूल धातु हैं और पढ़ + ना = पढ़ना इस प्रकार मूल धातु में ना लगा देने से क्रिया बन पाया हैं इसीतरह , चल = ना = चलना , पी + ना = पीना , खा + ना = खाना , जा + ना = जाना , सो + ना = सोना , हँस + ना = हँसना आदि ।
इन्हें भी पढ़ें – 1अकर्मक क्रिया तथा सकर्मक क्रिया क्या होता हैं – अंतर क्या हैं ।
2 करक किसे कहते हैं इनके भेद , परिभाषा एवं उदाहरण।
Kriya kise kahate hain
क्रिया के भेद –
शब्द के बनावट के दृष्टि से क्रिया के दो भेद होते हैं जो निम्न हैं |
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1 मूल धातु । | 1 सकर्मक क्रिया |
2 योगिक धातु या साधित धातु । | 2 अकर्मक क्रिया |
3 द्विकर्म क्रिया | |
और योगिक धातु तीन प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं – | 4 संयुक्त क्रिया |
5 पुनरुक्त संयुक्त क्रिया | |
1 प्रेरणार्थक क्रिया | 6 पूर्वकालिक क्रिया |
2 नाम धातु | 7 सामान्य क्रिया |
3 अनुकरण धातु | 8 सहायक क्रिया , |
अब बारी-बारी से सभी क्रिया का अध्ययन करेंगें –
- (ध्यान दें – क्रिया और धातु को समान दृष्टिकोण से देखा जाता हैं जब धातु के सन्दर्भ में प्रश्न आता हैं तब उसका जबाब धातु के सन्दर्भ में ही दिया जाता हैं और यदि क्रिया के सन्दर्भ में प्रश्न किया जाता हैं तो जबाब भी उसी के तर्क में दिया जाता हैं अर्थात धातु का जबाब धातु के तर्क में और क्रिया का जबाब क्रिया के तर्क में ।
- यदि आप हिंदी व्याकरण के किताबों को पढेंगें या अन्य कहीं से जानकारियां प्राप्त करने जायेंगें तो क्रिया और उनके भेदों से सम्बंधित भिन्नताएं देखने को मिल सकती हैं और यह भिन्नताएं विद्यार्थियों को असमंजस में डाल सकती हैं लेकिन आपको वास्तविकताओं को पकड़ना हैं आपको सिर्फ उसके intent(उद्देश्य) पर ध्यान देना हैं क्योंकि हर एक प्रकरण अथवा विषयों का एक अपना intent होता हैं यदि आप उसको समझ गए तो आपको किसी भी चीज को समझने में कोई दिक्क्त नहीं होंगें और आप उलझेंगें भी नहीं । यदि आप क्रिया के बारे में बढ़ते हैं तो क्यों पढ़ते हैं उसे समझना बहुत जरूरी होता हैं हकीकत तो यह हैं कि शिक्षा का मूल उद्देश्य सामान्य रूप से मस्तिक के स्मृति क्षमताओं को बढ़ाना होता हैं जिससे कि किसी भी विषय को सोच समझ सकें ।)
1 मूल धातु – यह धातु अपने आप में स्वतंत्र होते हैं ये किसी दूसरे ‘शब्द’ पर निर्भर नहीं करते हैं जैसे – खा , पी , देख , हँस आदि ।
2 योगिक धातु या साधित धातु-
जो धातु किसी दूसरे शब्दों के योग से बनती हो तो वह योगिक धातु कहा जाता हैं , यह धातु प्रत्यय के योग से बनते हैं यह स्वतंत्र नहीं होता हैं जैसे – खिलाना , दिखाना, पढ़वाना , लिखवाना , कटवाना , गिरवाना , भरवाना आदि ।
Kriya kise kahate hain
अब योगिक धातु के भेद को जानते हैं :
Prernarthak kriya
1 प्रेरणार्थक क्रिया-जब किसी वाक्य का ‘कर्ता’ किसी से काम करवाता हैं तो उस वाक्य कि क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता हैं या जिस क्रिया में प्रेरणा का भाव हो तो वह प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता हैं।
जैसे – श्याम गणेश से हल चलवाता हैं इस वाक्य में चलवाना प्रेरणार्थक क्रिया हैं इसी तरह –
बोलना से- बोलवाना ।
काटना से – कटवाना ।
गिरना से – गिरवाना ।
पीटना से – पिटवाना आदि ।
- प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के लिए मूल धातु में प्रत्यय को जोड़ा जाता हैं ।
- कुछ ऐसे धातु हैं जिसकी प्रेरणार्थक क्रिया नहीं बनती हैं जैसे आना , जाना , पाना , चाहना,रूकना होना आदि ।
- प्रेरणार्थक क्रिया अकर्मक क्रिया से बने या सकर्मक क्रिया से, सकर्मक ही होती हैं जैसे – गिराना और गिरवाना दोनों प्रेरणार्थक धातु हैं लेकिन गिराना का प्रयोग सकर्मक क्रिया के रूप में तथा गिरवाना का प्रयोग प्रेरणार्थक क्रिया के रूप में होता हैं। जैसे- मैं पानी गिराया(सकर्मक) तथा मैंने नौकर से पानी गिरवाया (प्रेरणार्थक)
मूल धातु से प्रेरणार्थक धातु बनाने का नियम –
मूल धातु | प्रथम प्रेरणार्थक | द्वितीय प्रेरणार्थक |
सुन- ना | सूना – ना | सुनवा – ना |
पढ़ – ना | पढ़ा – ना | पढ़वा – ना |
चल – ना | चला – ना | चलवा – ना |
फैल- ना | फैला – ना | फैलवा – ना |
Kriya kise kahate hain
2 नाम धातु- संज्ञा या विशेषण शब्दों से बनी हुई क्रिया को नाम धातु कहा जाता हैं या धातुओं से अतिरिक्त अन्य शब्दों के आधार पर बनने वाली धातुएँ नाम धातु कहा जाता हैं । जैसे –
संज्ञा के आधार पर – लाज से लजाना , हाथ से हथियाना , बात से बताना , खर्च से खर्चाना , दाग से दागना, गर्म से गर्माना आदि।
विशेषण के आधार पर – चिकना से चिकनाना , आधा से अधियाना, दोहरा से दोहराना ।
3 अनुकरण धातु –
जो धातु ध्वनि या दृष्टि आदि के अनुकरण के आधार पर बनती हैं वह अनुकरण धातु कहा जाता हैं ।
जैसे– खटखट से खटखटाना ,भनभन भनभनाना ,सरसर सरसराना,थरथर से थरथराना , थकथक से ठकठकाना ।
Kriya kise kahate hain
अब कर्म के अनुसार क्रिया भेद को समझते हैं –
1 सकर्मक क्रिया- जब क्रिया का फल कर्ता पर न पड़े किसी दूसरे चीज पर पड़े तो वह सकर्मक क्रिया कहा जाता हैं या जिस क्रिया में कर्म लगा हो तो वह सकर्मक क्रिया कहा जाता हैं ।
जैसे – वह पुस्तक पढता हैं इस वाक्य में पुस्तक कर्म हैं जो क्रिया के साथ आ रहा हैं , अन्य वाक्य श्याम आम खाता हैं , वह विद्यालय जाता हैं आदि में कर्म लगा हैं सामन्यतः जिसमें कर्म लगा होता हैं वह सकर्मक क्रिया कहा जाता हैं।
2 अकर्मक क्रिया- जब क्रिया का फल स्वंग कर्ता पर पड़े तो वह अकर्मक क्रिया कहा जाता हैं ।
जैसे – वह खाता हैं , वह जाता हैं , रमेश पीता हैं , राधा रोती हैं आदि ।
3 द्विकर्म क्रिया –
जिस सकर्मक क्रिया के दो कर्म हो तो उन्हें द्विकर्म क्रिया कहा जाता हैं
जैसे – श्याम ने नितिन को घड़ी दी हैं, यहाँ देना क्रिया का दो कर्म हैं- नितिन और घड़ी ।
Sanyukt kriya
4 संयुक्त क्रिया-
जब दो या दो से अधिक क्रियाओं का प्रयोग एक साथ हो तो वह संयुक्त क्रिया कहा जाता हैं इस प्रकार के क्रिया एक से अधिक धातुओं के मेल से बनती हैं ।
जैसे – श्याम खा चूका हैं।
सुरेश रोने लगा हैं।
वह जा चूका हैं ।
राम आ गया आदि । इस वाक्य में खा चूका , रोने लगा , जा चूका , आ गया संयुक्त क्रिया हैं ।
5 पुनरुक्त संयुक्त क्रिया –जब दो सामान अर्थ वाले तथा समान ध्वनि वाले क्रियाओं का संयोग होता हैं तब उन्हें पुनरूक्त संयुक्त क्रिया कहा जाता हैं ।
जैसे – वह आया – जाया करता हैं ।
कल खाना – पीना होगा ।
Kriya kise kahate hain
6 पूर्वकालिक क्रिया-जब कर्ता एक काम को समाप्त कर के दूसरी काम( क्रिया) शुरू कर देती हैं तो पहली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहा जाता हैं ।
जैसे – वह खा कर सोता हैं इस वाक्य में कर्ता पहले खाता हैं फिर सोता हैं तो पहली क्रिया खाना को पूर्वकालिक क्रिया कहा जाता हैं
अनीष नहाकर जाता हैं इस वाक्य में नहाना पूर्वकालिक क्रिया हैं । इसी तरह बहुत सारे उदाहरण हो सकते हैं।
7 सामान्य क्रिया-
जब किसी वाक्य में एक ही क्रिया का प्रयोग हो तो उसे समान्य क्रिया कहा जाता हैं ।
जैसे – वह पढता हैं , वह गया , मैंने खाया , श्याम गया आदि ।
8 सहायक क्रिया-
जो क्रिया मुख्य क्रिया के अर्थ को स्पष्ट करने में सहायक होते हैं उसे सहायक क्रिया कहा जाता हैं ।
जैसे – वह खा रहा हैं इसमें ‘हैं’ सहायक क्रिया हैं सहायक क्रिया को अच्छी तरह से समझने के अंग्रेजी व्याकरण का सहायता लेना पड़ता हैं यदि आप अंग्रेजी व्याकरण में क्रिया को पढ़ते हैं तो सहायक क्रिया को समझने में बहुत फायदा होगा ।
इन्हें भी पढ़ें – हिंदी व्याकरण क्या हैं ।