Hindi matra , hindi ki matra हिंदी की मात्रा क्या होती हैं ,मात्रा कैसे लिखें:
परिचय – यदि आप हिंदी मात्रा के बारे में जानकारी चाहते हैं तो स्वर और व्यंजन वर्ण के बारे में जानना होगा अन्यथा आप hindi matra को नहीं समझ सकते हैं । हम जानते है की हिंदी पढ़ने- लिखने और बोलने के लिए हिंदी वर्णमाला को पढ़ना पड़ता हैं जिसके अंतर्गत ‘वर्ण’ और उनके भेदों के बारे में अध्ययन करते हैं , वर्ण को दो भागो में विभाजित किया गया हैं (i) स्वर वर्ण (ii) व्यंजन वर्ण , अब स्वर की उच्चारण स्वंग अपने आप होता हैं किसी दूसरे वर्ण की सहायता नहीं लेते हैं लेकिन व्यंजन वर्ण का उच्चारण करते समय स्वर वर्ण का सहायता लेना पड़ता हैं अतः यही पर मात्रा काम आती हैं क्योंकि जब व्यंजन वर्ण की उच्चारण करते हैं तो स्वर वर्ण की सहायता लेते हैं जिस स्वर वर्ण का प्रयोग मात्रा के रूप में करते हैं ।
hindi ki matra
(हिंदी की मात्रा क्या है? )
हिंदी की मात्रा किसे कहते हैं / मात्रा की परिभाषा –
वर्णो के उच्चारण में जितना समय लगता हैं उसे ही मात्रा कहा जाता हैं उच्चारण का अर्थ किसी वर्ण को शुद्ध रूप से बोलना होता हैं , मात्रा स्वर वर्ण का होता हैं व्यंजन वर्ण का नहीं होता अतः दूसरे शब्दों में मात्रा को इस प्रकार भी परिभाषित कर सकते हैं – स्वर वर्ण को जब व्यंजन वर्ण के साथ प्रयोग में लाये जाते हैं तो तब स्वर वर्ण का प्रयोग सीधे न करके उसके चिन्हों का प्रयोग करते हैं जिसे मात्रा कहा जाता हैं अर्थात स्वर वर्ण का प्रयोग व्यंजन वर्ण के साथ सीधे न करके उनके मात्राओं के रूप में करते हैं । मात्रा को अच्छी तरह से जानने के लिए स्वर वर्ण तथा व्यंजन वर्ण को जानना बहुत जरूरी हैं अतः स्वर व्यंजन वर्ण के बारे में जान लेते हैं जो निम्न हैं ।
स्वर वर्ण(vowel) – अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ , ऋ जिसकी संख्या 11 हैं और साथ में अं , अ: भी हैं।
व्यंजन वर्ण(consonant)– इसमें कवर्ग , चवर्ग , टवर्ग , टवर्ग , पवर्ग और य र ल व – – – – – – त्र , ज्ञ तक हैं , इसके आलावा ड़ ढ भी व्यंजन वर्ण हैं ।
अब हम hindi matra के बात करते हैं,तो आपको बता दें की मात्रा स्वर वर्ण का ही होता हैं किसी अन्य वर्ण का नहीं जिसे निचे दर्शाया गया हैं ।
1 . अ – इसकी मात्रा नहीं होती हैं अ से रहित व्यंजन हलन्त कहे जाते हैं जैसे -क्, च्, म्, त्, भ् आदि । और जब यह किसी व्यंजन के साथ मिलते हैं तब व्यंजन का हलन्त चिन्ह लुप्त हो जाता हैं जैसे – व् + अ = व ।
2 . आ – इसकी मात्रा ा होती हैं , और
3 . इ – ि
4 . ई – ी
5 . उ – ु
6 . ऊ – ू
7 . ए – े
8 . ऐ – ै
9 . ओ – ो
10 . औ – ौ
11 . ऋ – ृ
12 . अं – ं
13 . अ: – :
मात्रा कितने प्रकार के होते हैं (matra kitne prakar ke hote hain)
हम सबसे पहले मात्रा के भेद(matra ke bhed) के बारे में जान लेते हैं तब आगे मात्रा के प्रयोग के बारे में जानेंगें क्योंकि इसके भेदों को जानना भी जरूरी हैं । हिंदी मात्रा तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं ।
मात्रा को तीन भागों में बाँटा गया हैं –
(1) ह्रस्व
(2) दीर्घ
(3) प्लुत
व्याख्या –
(1) ह्रस्व –जिस स्वर वर्ण के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगे तो उसे ह्रस्व कहा जाता हैं , इसे मूल स्वर भी कहा जाता हैं ।
जैसे – अ , इ , उ , ऋ ।
(2) दीर्घ –जिस स्वर वर्ण के उच्चारण में ह्रस्व वर्ण से दुगुना समय लगे तो उसे दीर्घ स्वर कहा जाता हैं , दीर्घ स्वर के उच्चारण करते समय ह्रस्व स्वर का दुगुना समय लगता हैं ।
जैसे – आ , ई ऊ ।
(3) प्लुत – जिस स्वर वर्ण के उच्चारण में ह्रस्व से तीन गुना का समय लगे तो वह प्लुत कहा जाता हैं , इसके उच्चारण में ह्रस्व के अपेक्षा तीन गुना समय लगता हैं ।
जैसे – हे राम 3 , हे श्याम 3 , ओउम 3, इसका प्रयोग किसी को पुकारने में किया जाता हैं , किसी को पुकारने में जिस स्वर को लम्बा करते हैं उसके आगे तीन का अंक लगा दिया जाता हैं ।
हिंदी में कितनी मात्रा होते हैं ( hindi me kitne matra hoti hain )
जैसे से ऊपर बता दिया गया हैं की मात्रा स्वर वर्ण की होती हैं और आप यह भी जान चुके हैं की स्वर वर्ण की संख्या 11 हैं जिसके साथ दो वर्ण अं ,अ: भी हैं अतः इनकी संख्या 13 हो जाता हैं अर्थात हम शार्थकता पूर्वक कह सकते हैं मात्रा की संख्या 13 हैं ।
हिंदी मात्रा कैसे लिखें ( hindi matra kaise likhen)
हिंदी मात्रा को किस प्रकार लिखा जाता हैं इसको समझने में कोइ कठिनाई नहीं होना चाहिए , यदि आप मात्रा और उसके चिन्हों को पहचान लिए तो इसका उपयोग बहुत आसानी से कर सकते हैं , जैसा की मात्रा के परिभाषा में बता चुके हैं कि स्वर वर्ण का प्रयोग व्यंजन वर्ण के साथ करते हैं तो स्वर वर्ण मात्रा व्यंजन वर्ण में सम्मलित हो जाते हैं और ऐसा इसलिए करना पड़ता हैं क्योकिं व्यंजन वर्ण के उच्चारण में स्वर वर्ण का सहायता लेना ही पड़ता हैं बिना स्वर वर्ण के सहायता से व्यंजन वर्ण का निर्माण नहीं हो सकता हैं अतः हिंदी मात्रा को कैसे लिखते हैं इसके बारे में जानते हैं ।
सबसे अ की मात्रा के बारे में बात करते हैं तो इसका मात्रा नहीं होता हैं जिसकी चर्चा ऊपर कर चुके हैं
आ की मात्रा ा होता हैं और इसका उपयोग किसी वर्ण के साथ करते हैं तो उस वर्ण के अंत में ा लग जाता हैं ।
जैसे – क + आ = का ।
ख + आ = खा ।
प + आ = पा ।
म + आ = मा इत्यादि ।
(Note- ध्यान देने वाली बात यह हैं की अक्षर के निर्माण में स्वर वर्ण हमेशा व्यंजन वर्ण के साथ जुड़ता हैं यदि स्वर स्वर के साथ जुड़ जायेंगें तो उसमें कोइ परिवर्तन नहीं होगा । जैसे आ + आ = आ ही होगा , ई + ई = ई ही होगा ।)
इ की मात्रा ि होती हैं , यह किसी वर्ण के पहले लगता हैं ।
जैसे –
क + इ = कि
ख + इ + खि
ई की मात्रा ी होती हैं यह किस वर्ण के अंत में जुड़ता हैं ।
जैसे – प + ई = पी ।
क + ई = की ।
म + ई = मी ,आदि ।
उ की मात्रा ु होती हैं , यह मात्रा निचे लगता है ।
जैसे – क + उ = कु ।
म + उ = मु ।
ह + उ = हु ।
न + उ = नु ,आदि ।
ऊ की मात्रा ू होती हैं ।
जैसे – क + ऊ = ऊ ।
य + ऊ = यू ।
न + ऊ = नू ।
त + ऊ = तू आदि ।
ए की मात्रा े होती हैं ।
जैसे – क + ए = के ।
प + ए = पे ।
न + ए = ने ।
ऐ की मात्रा ै होती हैं ।
जैसे – क + ऐ = कै ।
द + ऐ = दै ।
र + ऐ = रै , आदि ।
ओ की मात्रा ो होती हैं ।
जैसे – क + ओ = को ।
ह + ओ = हो ।
न + ओ = नो , आदि ।
औ की मात्रा ौ होती हैं ।
जैसे – क + औ = कौ ।
त + औ = तौ ।
य + औ = यौ , आदि ।
ऋ का ृ होता हैं ।
क + ऋ = कृ होता हैं ।
ह + ऋ = हृ होता हैं ।
अं का ं होता हैं ।
जैसे – क + अं = कं ।
प + अं = पं ।
न + अं = नं , आदि ।
अ: का : होता हैं ।
जैसे – क + अ: = कः ।
ख + अ: = खः ।
ग + अ: = गः ।
प + पः , आदि ।
निष्कर्ष – अब आप समझ गए होंगें की hindi matra क्या होता हैं और इसका प्रयोग किस प्रकार की जाती हैं यह व्यंजन वर्ण के साथ मिलकर किस प्रकार अक्षरों का निर्माण करते हैं दूसरी सबसे महत्पूर्ण बात यह हैं की मात्रा स्वर की ही होती हैं जो व्यंजन वर्ण के साथ मिलकर विभिन्न प्रकार के अक्षरों एवं शब्दों आदि का निर्माण करते हैं हम आशा करते हैं की दी गई जानकारी महत्पूर्ण होगी ।
इन्हें भी पढ़ें – 1 हिंदी वर्णमाला क्या हैं ।
2 हिंदी मात्रा वाले शब्द के बारे में जाने ।
3 व्यंजन वर्ण क्या हैं ।