Hindi grammar for class 3 and Worksheets for class 3-
हिंदी व्याकरण ( Grammar) –
Grammar का हिंदी अर्थ व्याकरण होता हैं, किसी भी भाषा को शुद्ध – शुद्ध लिखने पढ़ने तथा बोलने के लिए व्याकरण को पढ़ना बहुत जरूरी होता हैं जब तक हम व्याकरण को नहीं पढ़ते हैं तब तक हम शब्दों अथवा वाक्यों का सही उच्चारण नहीं कर पाते हैं । अलग-अलग प्रकार के भाषाओं के लिए अलग-अलग व्याकरण को पढ़ना पड़ता हैं और हिंदी भाषाओं के लिए हिंदी व्याकरण पढ़ना बहुत आवश्यक हैं ।
हमारी शिक्षा का प्रथम शुरूआत वर्णमाला से होते हैं जिसके अंतर्गत वर्णो तथा उनके प्रकार शब्दों वाक्यों आदि का विस्तृत जानकारिया प्राप्त की जाती हैं जो हमारा प्रारम्भिक क्षिक्षा होती हैं यदि इन सारे बातों का क्रमबद्ध अध्ययन करके आगे पढ़ा जाए तो आगे पढ़ने में कोइ परेशानियाँ नहीं होती हैं , हम हिंदी व्याकरण के प्रकार इनके परिभाषाओं को उदाहरण सहित अध्ययन करेंगें ।
Hindi Grammar Class 3
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सबसे पहले यह जानते हैं की Hindi grammar या हिंदी व्याकरण किसे कहते हैं इनकी क्या परिभाषा हैं –
हिंदी व्याकरण(Hindi grammar)- जिस पुस्तक को पढ़ने से हिंदी शुद्ध- शुद्ध लिखना पढ़ना तथा बोलना आ जाए तो वह हिंदी व्याकरण कहा जाता हैं कहने का मतलब यह हैं की जिस व्याकरण को पढ़ने से हिंदी भाषा को शुद्ध – शुद्ध लिखना बोलना एवं पढ़ना आये तो वह हिंदी व्याकरण कहे जाते हैं , ऐसा नहीं हैं की किसी भी पुस्तक को पढ़ लिया जाए हमें ऐसे पुस्तक को पढ़ना पड़ता हैं जिसमें हिंदी को शुद्ध एवं क्रमबद्ध तरीकों से बोलने तथा समझने की ज्ञान अर्जित कर सकें और दूसरी बात जानकारी ही ज्ञान कहलाता हैं । यदि आप हिंदी व्याकरण को अच्छी तरह से समझ गए हैं तो इससे आगे बढ़ते हैं यहाँ से आगे बढ़ने के लिए हिंदी व्याकरण के भेदों से शुरुआत करना पड़ेगा जो पाँच प्रकार के होते हैं , प्रकार कहे या भेद दोनों का सामान अर्थ प्रदान करते हैं ।
Hindi Grammar के प्रकार :
हिंदी व्याकरण पाँच प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं –
1 वर्ण विचार
2 शब्द विचार
3 वाक्य विचार
4 चिन्ह विचार
5 छंद विचार
(स्वाभिक हैं सबसे पहले हम वर्ण के बारे में पढ़ते हैं फिर शब्द के बारे में फिर वाक्य , चिन्ह और छंद के बारे में पढ़ते हैं कहने का अर्थ हैं हमें पढ़ना ही पढता हैं, जब हम अ आ इ ई——— की शुरूआत करते हैं तब हम यही समझते हैं की ऐसे ही अध्ययन की शुरूआत होती हैं परन्तु वह एक व्याकरण का भाग हैं इस बात की जानकारी व्याकरण पढ़ने के बाद ही होती हैं )
इन्हें भी पढ़ें – 1 हिंदी वर्णमाला क्या हैं – Hindi Varnamala
2 उपसर्ग किसे कहते हैं ?
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व्यख्या –
1 वर्ण विचार- इसका अध्ययन सबसे पहले किया जाता हैं क्योंकि पढ़ाई की शुरुआत वर्ण से ही किया जाता हैं अतः सबसे पहले वर्ण के बारे में जानना जरूरी हो जाता हैं की वर्ण क्या होता हैं ।
वर्ण – यह ध्वनि के मूल इकाई होती हैं जिसका उच्चारण खुद अपने आप होता हैं जिसे वर्ण कहा जाता हैं कहने का अर्थ हैं हिंदी भाषा को लिखने के लिए जिस ध्वनि चिन्हों का प्रयोग किया जाता हैं वह वर्ण कहे जाते हैं । वास्तव में हम जो भी पढ़ते लिखते हैं वह एक ध्वनि ही होता हैं वह मुँह से निकला हुवा एक आवाज ही होती हैं उसी आवाज को ध्वनि या वर्ण कहा जाता हैं मनुष्य कुछ बोलने के लिए अथवा किसी से बात करने के लिए जिस शब्द का प्रयोग करते हैं वह वर्णो का ही समूह होता हैं जिस वर्ण को दो भागों में बाटा गया हैं जो निम्नलिखित हैं –
(क) स्वर वर्ण –जिस वर्ण का उच्चारण करते समय किसी अन्य वर्ण का सहायता लेना न पड़े तो वह स्वर वर्ण कहा जाता हैं।
जैसे – अ , आ , इ , ई , उ, ऊ , ए , ऐ , ओ , औ , ऋ
स्वर वर्ण की संख्या 11 हैं जिसको बोलने के किसी अन्य वर्ण का सहायता नहीं लेते हैं , यदि हम ‘अ’ बोलते हैं तो उसमें सिर्फ अ ही बोलते हैं उनमें कोइ दूसरा वर्ण नहीं जुड़ा हुवा हैं इसीतरह अन्य स्वर वर्ण को भी बोलने के लिए किसी दूसरा वर्ण का सहायता नहीं लेते हैं।
(ख) व्यंजन वर्ण-जिस वर्ण का उच्चारण करते समय किसी अन्य वर्ण का सहायता लेना पड़े तो वह व्यंजन वर्ण कहा जाता हैं ।
जैसे –
क , ख , ग , घ ङ
च , छ , ज , झ , ञ
ट , ठ , ड , ढ , ण
त , त , द , ध , न
प , फ , ब , भ , म
य , र , ल , व , श , ष , स , ह , क्ष , त्र , श्र , ड़ , ढ़ , अं , अ:
इनकी संख्या 41 हैं जिसका उच्चारण करने में स्वर वर्ण की सहायता लेना पड़ता हैं । ‘क’ बोलते हैं तो उसके साथ ‘अ’ भी बोलना पड़ता हैं क्योंकि क में अ ध्वनि छिपा हैं । एक बात ध्यान देने वाली हैं की उच्चारण का अर्थ होता हैं मुँह से किसी स्वर को बोलना अर्थात मुँह से बोली गई ध्वनि को ही उच्चारण कहा जाता हैं जिसका प्रयोग शब्दों को भी बोलने में क्या जाता हैं ।
इसके बाद बारह खाड़ी आते हैं जो स्वर वर्ण से मिलकर बनती हैं जिसे निचे दिखाया जाता हैं –
क + अ = क
क + आ = का
क + इ = कि
क + ई = की
क + उ = कु
क + ऊ = कू
क + अं = कं
क + अ:= कः
इसीतरह सभी व्यंजन वर्ण को स्वर वर्ण की सहायता से अक्षर बनाया जाता हैं । क के बाद ख , ग , घ ङ————-अं ,अ: तक बारह खाड़ी बनाया जाता हैं जिसका प्रयोग वाक्य बनाने में किया जाता हैं ।
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2 शब्द विचार– वर्णो के सार्थक मेल को शब्द कहा जाता हैं जो कोई शार्थक अर्थ देता हो दूसरी शब्दों में वर्ण के व्यवस्थित मेल को शब्द कहा जाता हैं।
जैसे – श्याम, रवि , हरी , बादल , भारत , अधिकार , रहना , खाना , पीना , नहाना , जाना , पढ़ना , चलना आदि ।
अब यह देखना हैं कि वर्णो के मेल से शब्दों का निर्माण कैसे होता हैं जो निम्न हैं –
पहला शब्द श्याम हैं तो श्याम में आधा श , य , आ और म , अ मिलकर श्याम बना हैं । इसी प्रकार अन्य शब्द बना हैं ।
जिसे आप यहाँ देखें – र + अ + व + इ = रवि ।
ह + अ + र + ई = हरी ।
ब + आ + द + अ + ल + अ = बादल।
भ + आ + र + अ + त + अ = भारत ।
अ + ध + ई + क + आ + र + अ = अधिकार ।
र + अ + ह + अ + न + आ = रहना ।
ख + आ + न + आ = खाना ।
प + ई + न + आ = पीना ।
इसी प्रकार अनेकों प्रकर के शब्दों का निर्माण किया जाता हैं ।
3 वाक्य विचार-
शब्दों के शार्थक मेल को वाक्य कहा जाता हैं ।
जैसे – वह श्याम हैं ।
मैं सेव खाता हूँ ।
वह एक लड़की हैं ।
वह एक बिल्ली हैं ।
रवि विद्यालय जाता हैं ।
हम लोग खाना खाते हैं इत्यादि ।
ऊपर के जितने भी वाक्य हैं वह शब्दों के मिलने से बना हैं । वह , श्याम , एक , लड़की , बिल्ली , विद्यालय , रवि , खाना , हम , जाना आदि सब ‘शब्द’ हैं जो शार्थक( सही क्रमबद्ध तरीकों ) रूप मिलकर वाक्यों का निर्माण किया गया हैं ।
वाक्य के प्रकार :
साकारात्मक वाक्य/स्वीकारात्मक वाक्य – इसमें कोइ व्यक्ति अपनी बातों को स्वीकार करता हैं अर्थात जिस वाक्य में ‘नहीं’ शब्द और प्रश्नवाचक शब्द नहीं लगा हो तो वह स्वीकारात्मक वाक्य कहा जाएगा ।
जैसे – मैं जाता हूँ , वह खाता हैं , राम पढता हैं , मैं घर जाता हूँ , यह एक किताब हैं , यह एक कुर्सी हैं आदि ।
नाकारात्मक वाक्य – यह कुर्सी नहीं हैं , cवह लड़का नहीं हैं , श्याम घर नहीं जाता हैं , मैं नहीं पढता हूँ , अरुण पढ़ाई नहीं कर रहा हैं आदि।
प्रश्नवाचक वाचक वाक्य –जब कोइ व्यक्ति किसी से प्रश्न करते हैं तब ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य कहा जाता हैं ।
जैसे – क्या वह पढता हैं ?
क्या मैं विद्यालय नहीं जाता हूँ ?
क्या यह बिल्ली हैं ?
क्या वह लड़की हैं ?
मैं क्यों नहीं पढता हूँ ?
वह कैसे काम करते हैं ?
हम कब घर जाते हैं ?
बच्चें स्कूल कब जाते हैं ? इत्यादि ।
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4 चिन्ह विचार – हिंदी व्याकरण में चिन्हों का बहुत महत्त्व हैं जब हम किसी वाक्य को लिखते हैं तो लिखते समय ठहराव (रुकना ) भी पड़ता हैं इसी ठहराव के लिए चिन्हों का प्रयोग किया जाता हैं जो इस निम्नलिखित हैं –
1.पूर्ण विराम – (।)
2.अर्द्ध-विराम – (;)
3.अल्प-विराम – (,)
4.प्रश्नवाचक चिन्ह – (?)
5.योजक चिन्ह – (–)
7.विवरण चिन्ह – (:-)
5 छंद विचार – जो पद रचना , वर्ण की गणना , क्रम , मात्रा , मात्राओं की गणना , गति इत्यादि का सम्बन्ध हो तो वह छंद कहा जाता हैं । छंद के नियमों का प्रयोग केवल ‘पद्य‘ में होता हैं ‘गद्य’ में नहीं , गद्य में शब्द क्रमानुसार होते हैं पद्य में इस प्रकार की कोई क्रम नहीं रहता हैं ।
मात्रा और वर्णक्रम के अनुसार छंद के भेद निम्नलिखित हैं –
1 मात्रिक छंद- इसमें केवल मात्राओं की निश्चित संख्या का बंधन होता हैं वर्ण बढ़ घट सकती हैं ।
2 वर्णिक छंद – इस छंद में वर्ण संख्या और मात्रा क्रम का संयोजन होता हैं और जहाँ वर्णो की मात्राओं का क्रम मुख्य होता हैं उसे वर्णित छंद कहा जाता हैं ।
3 सम छंद –जिस छंदों में चारों चरणों में मात्रा संख्या अथवा वर्णक्रम समान होती हैं वह सम छंद कहा जाता हैं ।
जैसे – चौपाई , रोला ।
4 अर्ध सम छंद –जिस छंदों के चारों चरणों में मात्रा संख्या अथवा वर्णक्रम एक समान होता हो उसे सम छंद कहा जाता हैं ।
जैसे – दोहा , सोरठा ।
5 विषम छंद – जिस छंदों के चरणों में मात्राओं और वर्णों की संख्या असमान हो तो वह विषम छंद कहा जाता हैं ।
जैसे – कुण्डलिया ।
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निम्नलिखित स्वर व्यंजन वर्णो की पहचान करें –
क , अ , त , ई , प , ह , र , ज , ल , ऊ , ओ , अं , भ , इ , आ औ
निम्नलिखित शब्दों को पूरा करें –
1 शा —- न ।
2 पाठ—— ला ।
3 रा —- व — न ।
4 विद्या— य
5 ल —– की
6 आ —– र
7 आ —— स — मा——
8 श —- या ——-
निम्नलिखित शब्दों को पूरा करें –
1 अनार —– होता हैं ।
2 वह —– स्कूल जाती हैं ।
3 सूरज —– में —– हैं ।
4 यह —– कलम हैं ।
5 राम —– खाता हैं ।
6 क्या —— पढ़ सकती हैं ।
7 मैं विद्यालय ——- जाता हूँ ।
8 रमेश —- अपना काम —— पर करता हैं ।
9 अरुण —- हर —— अपना —— करता हैं ।
10 अजय —- नहीं पढता हैं ।
इन्हें भी पढ़ें – अलंकार क्या हैं ।